NSG की सदस्यता के मामले में भारत को उस समय झटका लगा जब चीन ने साफ़ तौर पर कह दिया कि वह भारत और पाकिस्तान दोनों को इस समूह का सदस्य बनाने के पक्ष में नहीं है। चीन का कहना है कि पहले इन देशो को NPT (परमाणु अप्रसार संधि) पर हस्ताक्षर करने चाहिए तभी उनकी सदस्यता के बारे में विचार किया जाएगा।
आपको बता दें अमेरिका ने भारत की सदस्यता को लेकर ज़बरदस्त लॉबी की है और उसके कहने पर 48 सदस्य देशों में से लगभग 42 देश भारत के पक्ष में आ भी गए लेकिन चीन टस से मस नही हो रहा है। चीन का पहले कहना था कि अगर भारत को सदस्यता दी जाती है तो फिर पाकिस्तान ोक भी दी जानी चाहिये। अब उसका कहना है कि दोनों को तब तक सदस्यता नहीं दी जानी चाहिये जब तक कि वे परमाणु अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर न कर दें।
वैसे सियोल में इस मसले पर आज बैठक चल रही है। चीन ने यह भी कहा है कि एनएसजी में भारत की सदस्यता के मुद्दे को लेकर भारत और चीन संबंधों पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
NSG में किसी भी देश के पास वीटो करने का अधिकार नही है और कोई देश तभी सदस्य बन सकता है जब सभी सदस्य देश सहमत हों.
जानिए क्यों बना NSG और क्या था इसका मकसद:
NSG यानी न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप (परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह) 48 देशों का ऐसा समूह है जो परमाणु संपन्न हैं और वो पूरा दुनिया में परमाणु प्रसार रोकने के मकसद से काम करता है। इतना ही नहीं ये देश परमाणु विस्तार कार्यक्रमों में उस तकनीक को भी नियंत्रित करने का काम करते हैं जिसका इस्तेमाल किया जा सकने की संभावना होती है।
आपको बता दें भारत ने साल 1974 में परमाणु परीक्षण किया था। इसके ठीक एक साल बाद यानी साल 1975 को ही परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) का गठन हुआ था। इसी साल इसकी एक बैठक भी हुई थी। साल 2016 तक आते आते इसमें फिलहाल 48 देश ही सदस्य के तौर पर जुड़ पाए हैं। इस संगठन का प्रमुख उद्देश्य यह था कि दुनिया में किसी भी तरह परमाणु हथियारों की होड़ को रोका जाए