वेलिंगटन: न्यूजीलैंड ने हजारों भारतीय छात्रों को वीजा देने से इनकार कर दिया है। ये छात्र इस देश में पढ़ाई करना चाहते थे। मीडिया में यह खबर शुक्रवार को आई। रेडियो न्यूजीलैंड की खबर के अनुसार, न्यूजीलैंड के आप्रवासन अधिकारियों का मानना था कि तृतीय श्रेणी की संस्थाओं में दाखिला लेने वाले भारतीय छात्र पढ़ाई के इच्छुक नहीं थे।
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, देश के आधे पॉलीटेक्निक संस्थाओं समेत 51 संस्थानों द्वारा भारतीय छात्रों को वीजा नहीं देने की दर 30 प्रतिशत से अधिक है।
अधिकांश संस्थानों ने आधे अधिक आवेदन अस्वीकार कर दिए थे। एक संस्थान ने तो 86 प्रतिशत आवेदन अस्वीकार कर दिए।
ये आंकड़े दिसंबर, 2015 से मई, 2016 के बीच छह महीने के हैं।
आंकड़े दर्शाते हैं कि न्यूजीलैंड आव्रजन अधिकारियों ने 3,864 वीजा आवेदन अस्वीकार कर दिए, जबकि 3176 वीजा आवेदनों को मंजूरी दी।
अधिकारियों का मानना था कि आवेदक सही में पढ़ने के लिए नहीं आ रहे थे या उनके पास खर्च के लिए पर्याप्त पैसे नहीं थे।
रेडियो न्यूजीलैंड के अनुसार, ऑकलैंड अंतर्राष्ट्रीय शिक्षा समूह के प्रवक्ता पॉल चाल्मर्स ने कहा कि अधिकांश अस्वीकृत आवेदनों में फर्जीवाड़े के मामले नहीं थे, बल्कि सामान्य तौर पर आव्रजन मानकों को पूरा नहीं करने के कारण अस्वीकार किए गए थे।
उन्होंने कहा, "आवजन विभाग कभी-कभी सही छात्रों को भी मना कर देता है।"
तृतीय श्रेणी स्वतंत्र शिक्षा निदेशायल के प्रवक्ता रिचर्ड गुडाल ने कहा कि भारतीय आवेदनों पर आव्रजन विभाग कड़ा रुख अपना रहा है, लेकिन वीजा नहीं देने की दर 50 प्रतिशत से अधिक होना सवाल खड़े करते हैं।
ऑकलैंड स्थित न्यूटन वाणिज्य एवं प्रौद्योगिकी महाविद्यालय के मुख्य कार्यकारी अधिकारी आशीष त्रिवेदी ने संवददाताओं से कहा कि भारतीयों को प्रवेश देने वाले सभी संस्थानों ने एक बड़ी संख्या में छात्रों के आवेदन अस्वीकार कर दिए हैं।
न्यूटन वाणिज्य एवं प्रौद्योगिकी महाविद्यालय की आवेदन अस्वीकार करने की दर 60 प्रतिशत से अधिक है, जबकि सबसे अधिक 86 प्रतिशत आवेदन अस्वीकार करने की दर न्यूजीलैंड के इम्पीरिल कॉलेज की है।