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मुगाबे और उनकी पत्नी को देश में रहने की अनुमति, अदालत में नहीं चलेगा मुकदमा

जिम्बाब्वे के पूर्व राष्ट्रपति रॉबर्ट मुगाबे और उनकी पत्नी ग्रेस को अभियोजन से मुक्ति प्रदान की गई है। सेना ने गुरुवार को कहा कि दोनों को देश में रहने की अनुमति भी दी गई है।

Edited by: India TV News Desk
Published on: November 24, 2017 8:51 IST
zimbabwe- India TV Hindi
Image Source : PTI zimbabwe

हरारे: जिम्बाब्वे के पूर्व राष्ट्रपति रॉबर्ट मुगाबे और उनकी पत्नी ग्रेस को अभियोजन से मुक्ति प्रदान की गई है। सेना ने गुरुवार को कहा कि दोनों को देश में रहने की अनुमति भी दी गई है। 'सीएनएन' ने जिम्बाब्वे रक्षा बलों के प्रवक्ता कर्नल ओवरसन मुग्विसी के हवाले से बताया कि 93 वर्षीय पूर्व नेता के साथ समझौता किया गया है जिसमें अभियोजन से मुक्ति और उनके एवं उनकी पत्नी के लिए सुरक्षा की गारंटी शामिल है। (ताइवान के एक अपार्टमेंट में आग लगने से 9 की मौत, 2 लोग घायल)

मुगाबे ने मंगलवार को 37 वर्ष तक चले अपने शासनकाल को खत्म करते हुए इस्तीफा दे दिया। उन पर अपने विपक्षी क्षेत्रों में अपनी शक्ति को मजबूत करने के लिए 1980 के दशक के मध्य में नरसंहार का आदेश देने का आरोप लगता रहा है जिसमें 20,000 तक लोग मारे गए थे। उन पर भ्रष्टाचार के भी आरोप लगते रहे हैं। लेकिन, रंगभेद के खिलाफ देश की स्वाधीनता संग्राम के वह नायक भी रहे हैं। सेना द्वारा हरारे पर कब्जा करने और मुगाबे को नजरबंद करने के बाद उन्होंने एक हफ्ते तक सेना के साथ अपने सत्ता से हटने पर बातचीत की।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, एक लम्बी प्रक्रिया में सैन्य अधिकारियों ने मुगाबे की मांगें मंजूर कीं और उनके पद से हटने से पहले मुगाबे को अपनी कई संपत्तियों को रखने की भी अनुमति दी। मुगाबे के पूर्व साथी एमरसन म्नांगाग्वा अंतरिम राष्ट्रपति का पदभार संभालने के लिए बुधवार को देश वापस लौटे। उन्होंने वादा किया कि वह देश में नया लोकतंत्र लाएंगे। वह शुक्रवार को शपथ लेंगे। वापस लौटने के बाद 'द क्रोकोडाइल' के नाम से जाने-जाने वाले म्नांगाग्वा ने समर्थकों से कहा, "जनता ने बोला हैं। जनता की आवाज भगवान की आवाज है।"

म्नांगगवा ने कहा, "मैं आपका दास बनने की प्रतिज्ञा करता हूं। मैं जिम्बाब्वे के सभी वास्तविक देशभक्तों से एक साथ आने की अपील करता हूं। हम साथ काम करते हैं। हम अपनी अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाना चाहते हैं। हम हमारे देश में शांति और नौकरियां चाहते हैं।" इस महीने की शुरुआत में म्नांगाग्वा की बर्खास्तगी ने देश को एक राजनीतिक संकट में धकेल दिया और सेना प्रमुखों को राजधानी पर नियंत्रण करने और मुगाबे का नजरबंद करने के लिए प्रेरित किया। मुगाबे ने शुरुआत में इस्तीफा देने से इनकार कर दिया था लेकिन संसद द्वारा महाभियोग की कार्यवाही शुरू करने के बाद उन्होंने मंगलवार को अपना इस्तीफा सौंप दिया।

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