भारत की 6 दिवसीय आधिकारिक यात्रा पर आए इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने बीते मंगलवार को आगरा के ताज महल का दौरा किया। इससे पहले भारतीय पीएम नरेंद्र मोदी और नेतन्याहू के बीच 9 मुद्दों पर समझौते किए गए। बता दें कि इजरायल का एक देश के रूप में उदय के पीछे संघर्ष भरी कहानी है आइए जानते हैं क्या है वह। इज़रायल संसार के यहूदी धर्मावलंबियों के प्राचीन राष्ट्र का नया रूप है। इज़रायल राष्ट्र के रूप में 14 मई सन् 1948 को अस्तित्व में आया था। इज़रायल राष्ट्र, प्राचीन फ़िलिस्तीन का ही हिस्सा है। प्रथम विश्व युद्ध से पहले ही फिलिस्तीन ब्रिटेन के नियंत्रण में आ गया था। इस इलाके में उस समय अरबी लोग रहा करते हैं वहीं दूसरी ओर यहां यहूदी लोग भी रहना चाहते थे। (भारत-इजरायल गठजोड़ से चिढ़ा पाक, कहा हम अपनी रक्षा खुद कर सकते हैं )
कहा जाता है कि यहूदियों का फिलिस्तीन से धार्मिक संबंध रहा है। यहूदी मानते थे कि उन्हें फिलिस्तीन में रहने का ईश्वरीय हक है। उस दौरान यहूदियों को यूरोप और रूस में यहूदी होने के कारण काफी यातनाओं का सामना करना पड़ा। अत्याचारों के बाद यहूदी बढ़ी संख्या में यहां आने लगे। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद ब्रिटेन ने फैसला किया कि फिलिस्तीन इलाके का फैसला अब संयुक्त राष्ट्र ही करेगा। जब यह मामला संयुक्त राष्ट्र में पहुंचा तो फैसला लिया गया कि फिलिस्तीन को दो हिस्सों में बांटा जाएगा। एक अरबी लोगों के लिए और दूसरा यहूदियों के लिए। अरबियों को संयुक्त राष्ट्र का फैसला स्वीकार नहीं था। वहीं दूसरी ओर यहूदियों ने इस फैसले को स्वीकार करते हुए इजरायल की घोषणा कर दी। अमेरिका के राष्ट्रपति ने उसी वक्त ही इसे इजरायल की मान्यता दे दी थी। जैसे ही इजरायल की घोषणा हुई अरबियों और इजरायल में युद्ध शुरू हो गए। लंबे समय तक चले इस युद्द के बाद दोनों ही देश युद्ध को रोकने के लिए राजी हो गए। जिसके बाद इजरायल को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता मिली।
इजरायल में नागरिकों को किया जाता है सेना के लिए तैयार
बात की जाए तो इजरायल को बने हुए अभी मात्र 69 साल हुए हैं। क्षेत्रफल के मामले में आपको जानकर हैरानी होगी की इजरायल भारत के मणिपुर से भी छोटा है। इस देश की आबादी लगभग 85 लाख है। ऐसे कई क्षेत्र है जहां पर इजरायल अभी भी कई देशों से पीछे है लेकिन इजरायल की तकनीकी और सैन्य क्षमता की मिसाल दुनिया भर में दी जाती है। इजरायल के बारे में ऐसा कहा जाता है कि वहां पर नागरिकों नहीं सेना के लिए तैयार किया जाता है। यहां सेना में सेवा देना हर नागरिक की जिम्मेदारी होती है। आपको बता दें की पश्चिमी देश इजरायल को सबसे सुरक्षित देश मानते हैं। इसके साथ ही इजरायल अपनी GDP का 4.5 प्रतिशत हिस्सा शोध पर खर्च करता है।
अंतरिक्ष में इजरायल के 8 जासूसी उपग्रह
आज इजरायल हाई-टेक सुपरपावर देश है और वह दुनिया भर में आधुनिक हथियार बेचने के मामले में काफ़ी आगे है। हर साल इजरायल क़रीब 6.5 अरब डॉलर का हथियार बेचता है। इजरायल को साल 2000 में अपनी पहली ऑपरेशन एरो मिसाइल मिली थी। इसके सात ही इजरायल दुनिया का पहला ऐसा देश बन गया जिसने दुश्मन की मिसाइल को रास्ते में ही खत्म कर दिया था। अंतरिक्ष में इजरायल के 8 जासूसी उपग्रह हैं। ऐसा माना जाता है कि दुनियाभर में इजरायल के जासूसी उपग्रह बेमिसाल हैं। इजरायल को दुनिया उसके मर्कावा टैंक के लिए भी जानती है। इस टैंक को पूरी तरह से घर पर बनाया गया है।