यरुशलम: यरुशलम में कड़ी सुरक्षा के बीच अमेरिकी दूतावास के उद्घाटन की तैयारियां शुरू हो गई है। इस कदम से इस्राइली यहूदियों में खुशी की लहर है और वह इसे ‘ऐतिहासिक’ घटनाक्रम मानते हैं। लेकिन फलीस्तीनी इसे उकसावे से भरे कदम के रूप में देखते हैं जिससे इस क्षेत्र में शांति की संभावना क्षीण हो सकती है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पिछले साल दिसंबर में अमेरिका का दूतावास तेल अवीव से हटाकर यरुशलम करने की घोषणा की थी। अमेरिका के इस कदम का इस्राइल के लोगों ने स्वागत किया था, वहीं फलस्तीनी इससे गुस्सा थे क्योंकि वह मानते हैं कि इस्राइल ने पूर्वी यरुशलम पर जबरन कब्जा किया है। इस्राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कल कहा था, ''यह एक यादगार पल है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप इतिहास रच रहे हैं। यरुशलम को इस्राइल की राजधानी के रूप में मान्यता देने और अपना दूतावास वहां ले जाने के उनके बहादुरीपूर्ण कदम के लिए हम और इस्राइल की जनता उनकी आभारी हैं।'' (मुंबई हमले पर दिए बयान पर बोले शरीफ कहा, मैं तो सच बोलूंगा )
नेतन्याहू ने आज शाम होने वाले उद्घाटन से पहले अमेरिका के एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधि मंडल सहित करीब 32 देशों के प्रतिनिधियों का स्वागत किया। इस्राइल के राष्ट्रपति ने अन्य देशों से भी आग्रह किया कि वह डोनाल्ड ट्रंप द्वारा उठाए गए कदम के साथ आएं। आने वाले दिनों में ग्वाटेमाला और पराग्वे भी अपना दूतावास यरुशलम में बनाएंगे। वहीं कुछ यूरोपीय देशों ने भी दूतावास यरुशलम लाने के प्रति झुकाव दिखाया है, इन देशों में चेक रिपब्लिक, ऑस्ट्रिया, रोमानिया शामिल हैं।
हारेट्ज समाचार पत्र की खबर के मुताबिक एशियाई देशों में म्यांमार, थाईलैंड और फिलीपींस के प्रतिनिधि ने इस कार्यक्रम में शामिल होना स्वीकार किया था और वह शामिल भी हुए हैं। दूतावास के उद्घाटन के लिए आए अमेरिकी प्रतिनिधि मंडल में अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप के दामाद और वरिष्ठ सलाहकार जैरेड कुशनर शामिल हैं।