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आयरलैंड में गर्भपात कानून में बदलाव, भारतीय मूल की महिला की मौत के बाद शुरु हुआ था कैंपेन

आयरलैंड में अबॉर्शन (गर्भपात) के खिलाफ दुनिया भर में सबसे सख्त कानून हैं लेकिन शनिवार को इसके खिलाफ आए जनमत संग्रह के नतीजों ने भारत की एक बेटी के घरवालों को भी जश्न मनाने का मौका दिया है। 

Written by: India TV News Desk
Published : May 27, 2018 6:56 IST
आयरलैंड में गर्भपात...
आयरलैंड में गर्भपात कानून में बदलाव

नई दिल्ली: आयरलैंड में अबॉर्शन (गर्भपात) के खिलाफ दुनिया भर में सबसे सख्त कानून हैं लेकिन शनिवार को इसके खिलाफ आए जनमत संग्रह के नतीजों ने भारत की एक बेटी के घरवालों को भी जश्न मनाने का मौका दिया है। आयरलैंड में गर्भपात पर प्रतिबंध हटाने के लिए हुए जनमत संग्रह में 66.4% लोगों ने इसका समर्थन किया। बीबीसी की खबर के मुताबिक आयरलैंड में महिला की जान को खतरा होने की स्थिति में ही अभी गर्भपात की इजाजत है और बलात्कार के मामलों में यह नहीं है। 

सविता हलप्पनवार का संघर्ष 

कर्नाटक के बेलगावी में सविता हलप्पनवार के परिवार वाले जनमत संग्रह के नतीजे से काफी खुश हैं। भारतीय डेंटिस्ट सविता हलप्पनवार की 2012 में गर्भपात की इजाजत नहीं मिलने पर आयरलैंड के यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल गालवे में मौत हो गई थी। बार-बार अबॉर्शन की मांग के बावजूद उन्हें इसकी इजाजत नहीं मिली थी। 

सेप्टिक मिसकैरेज (गर्भावस्था के दौरान संक्रमण) की वजह से उनकी मौत हो गई थी। उनकी मौत ने आयरलैंड में गर्भपात पर नई चर्चा छेड़ दी। सविता के पिता आनंदप्पा यालगी ने कर्नाटक के बेलगावी स्थित अपने घर से कहा कि उन्हें आशा है कि आयरलैंड के लोग उनकी बेटी को याद रखेंगे। 

'नए अबॉर्शन कानून का नाम हो- सविता लॉ' 
सविता के पिता ने कहा, 'मैं इस खबर से बहुत-बहुत खुश हूं। हमारी एक आखिरी इच्छा है कि इस नए कानून का नाम उनकी बेटी के नाम पर रखते हुए इसे सविता लॉ कर दिया जाए। यह उनके नाम पर होना चाहिए।' आयरिश टाइम्स से बातचीत में उन्होंने कहा, 'मैं आयरलैंड के अपने भाइयों और बहनों को यस वोट करने के लिए धन्यवाद देना चाहता हूं। यह बहुत अहम है। आयरलैंड की बहुत सी महिलाओं ने इसके लिए संघर्ष किया है।' 

66 प्रतिशत लोगों ने किया समर्थन 
भारतीय मूल के प्रधानमंत्री लियो वरदकर ने शनिवार को जनमत संग्रह के नतीजों की घोषणा की। इस संबंध में आई पहली आधिकारिक रिपोर्ट के मुताबिक गर्भपात के खिलाफ किए गए संशोधन को रद्द करने की मांग को 66 प्रतिशत लोगों का समर्थन हासिल हुआ है। 

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