संयुक्त राष्ट्र: अमेरिकी विदेश मंत्री रेक्स टिलरसन ने आज कहा कि उनका देश ईरान को परमाणु संधि पर दोबारा बातचीत शुरू करने के लिए मनाने की खातिर अपने सहयोगियों से सहयोग की अपेक्षा कर रहा है। टिलरसन ने टीवी चैनल फॉक्स न्यूज से कहा, हमें यह मुद्दा रखने के लिए और ईरान को यह बताने के लिए अपने सहयोगियों, अपने यूरोपीय सहयोगियों और अन्य के सहयोग की जरूरत है कि इस संधि पर वाकई दोबारा गौर किया जाना चाहिए। अमेरिका के इस डिप्लोमैट-इन-चीफ ने ईरानी विदेश मंत्री मोहम्मद जावेद जरीफ और वर्ष 2015 में परमाणु समझौते पर हस्ताक्षर करने वाले पांच अन्य देशों के विदेश मंत्रियों से अपनी पहली मुलाकात की पूर्व संध्या पर यह बात कही। ये पांच अन्य देश हैं- ब्रिटेन, चीन, फ्रांस, जर्मनी और रूस। (हमजा बिन लादेन बन सकता है अलकायदा का नया चीफ?)
संयुक्त राष्ट्र महासभा को दिए अपने पहले संबोधन में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने संकेत दिया कि वह परमाणु संधि को निरस्त करने के लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा कि यह संधि अमेरिका के लिए एक शर्मिंदगी है। परमाणु संधि के तहत ईरान ने अपने अधिकांश संवर्धित यूरेनियम को सरेंडर कर दिया था, एक रिएक्टर को निष्क्रिय कर दिया था और परमाणु स्थलों को संयुक्त राष्ट्र की जांच के अधीन कर दिया था। तब वाशिंगटन और यूरोप ने उस पर लगे कुछ प्रतिबंध हटा दिए थे।
फ्रांसीसी विदेश मंत्री जे वाई एल ड्रायन ने इस सप्ताह प्रावधानों पर चर्चा शुरू करने का विचार रखा। ये प्रावधान वर्ष 2025 में ईरान के यूरेनियम संवर्धन से कुछ प्रतिबंध हटाने की बात करते हैं। टिलरसन ने कहा कि यह प्रावधान सबसे बड़ी गड़बड़ी है और उत्तर कोरिया के समानांतर स्थिति पैदा करता है। उत्तर कोरिया के साथ उसके परमाणु कार्यक्रम को निरस्त करने के लिए किया गया समझौता वर्ष 2002 में खत्म हो गया था। उन्होंने कहा, यह पर्याप्त रूप से सख्त नहीं है। यह उनके कार्यक्रम को पर्याप्त रूप से धीमा नहीं करता है।