संयुक्त राष्ट्र: भारतीय शांति सैनिकों का इस साल संयुक्त राष्ट्र के शांति अभियानों में यौन दुर्व्यवहार के मामले में अब तक का रिकार्ड स्वच्छ है। इसकी वजह यह है कि यौन दुर्व्यवहार के मामलों को भारत जरा भी बर्दाश्त नहीं करता। इस मामले में उसकी नीति शून्य सहनशीलता की है। संयुक्त राष्ट्र की मंगलवार को इस साल के शांति अभियानों में यौन दुर्व्यवहार से संबंधिक रिपोर्ट जारी की गई। इसमें अब तक भारतीयों के खिलाफ कोई भी आरोप नहीं लगा है। संयुक्त राष्ट्र के शांति अभियानों में यौन दुर्व्यवहार की शिकायतें आती रहती हैं।
भारतीय शांति सैनिकों के खिलाफ कोई आरोप नहीं
भारतीय शांति सैनिकों के खिलाफ वर्ष 2015 में भी कोई आरोप नहीं लगा था। यह पहला ऐसा साल था जिसमें संयुक्त राष्ट्र ने यौन अपराध करने वाले अभियुक्तों की पहचान वे किस देश के हैं, यह बताकर की थी। भारतीय शांति अभियानों के जानकार एक कूटनीतिक सूत्र ने बताया कि जुलाई से शुरू होने वाली सैनिकों की तैनाती में हर भारतीय टुकड़ी के साथ भारत राष्ट्रीय जांच अधिकारी भी तैनात करेगा।सूत्र ने कहा कि शून्य सहनशीलता नीति को लागू करते हुए कहीं कुछ होने पर अधिकारी तत्परता के साथ तत्काल कदम उठाने में सक्षम होंगे। वे यौन दुर्व्यवहार के खिलाफ एक 'सेफगार्ड' के रूप में काम करेंगे।
इस साल UN अभियानों में अब तक 44 आरोप आए सामने
रिपोर्ट में कहा गया है कि इस साल शांति अभियानों एवं विशेष राजनीतिक अभियानों में अब तक 44 आरोप सामने आए हैं। इनमें से 35 सैनिकों के खिलाफ, जबकि चार पुलिस के खिलाफ हैं। रिपोर्ट के अनुसार, दो बांग्लादेशी शांति सैनिकों पर एक अवयस्क लड़की का यौन उत्पीड़न करने का आरोप लगा है। बांग्लादेश ने जांच करवाई है। एक के खिलाफ आरोप सही पाए गए हैं और उसे एक साल कैद की सजा हुई है और नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया है। संयुक्त राष्ट्र ने शांति अभियानों में तैनात किए जा रहे सभी सैनिकों की जांच शुरू की है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सैनिकों के गलत आचरण का कोई रिकार्ड तो नहीं है।
भारत ने कहा, हमें यौन उत्पीड़न और दुर्व्यवहार के मामले बर्दाश्त नहीं
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थाई प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन ने फरवरी में शांति रक्षा अभियानों की विशेष कमेटी से कहा था, "यौन उत्पीड़न एवं दुर्व्यवहार (एसईए) के मामलों में हमारी शून्य सहनशीलता है और हम चाहेंगे कि ऐसे मुद्दों पर पूरे संयुक्त राष्ट्र में भी शून्य सहनशीलता रहे।"