संयुक्त राष्ट्र: भारत ने संयुक्त राष्ट्र के हालिया घोषणा-पत्र की आलोचना करते हुए कहा कि संयुक्त राष्ट्र के आतंकवाद-रोधी प्रयासों को कुछ देशों ने 'अपनी मर्जी और सनक के चलते बंधक' बना रखा है। भारत ने हाल ही में संयुक्त राष्ट्र द्वारा पारित घोषणा-पत्र के संबंध में ये बातें कही। आंतकवादी संगठनों एवं उनकी मदद करने वालों पर प्रतिबंध लगाने के लिए सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव पर गठित समिति के सदस्यों द्वारा वीटो का इस्तेमाल करने के वाकयों का हवाला देते हुए संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन ने सोमवार को सुरक्षा परिषद में कहा, "कई बार किसी न किसी देश ने अपनी मर्जी और सनक के चलते इसे बाधित किया।"
अकबरुद्दीन ने कहा, "इसके लिए किसी तरह के स्पष्टीकरण की जरूरत नहीं है और सामान्य से बयान के जरिए जघन्य गतिविधियों में संलिप्त लोगों के खिलाफ अथक परिश्रम के बाद एक सूची तैयार करने के अनुरोध का या तो 'विरोध' कर दिया जाता है या 'रोक' दिया जाता है या 'बाधित' कर दिया जाता है।" पिछले वर्ष जून में चीन ने मुंबई में 2008 के आतंकवादी हमलों के कर्ताधर्ता लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादी जकी-उर-रहमान लखवी को बरी करने के लिए पाकिस्तान के खिलाफ सुरक्षा परिषद के आंतकवाद-रोधी प्रस्ताव पर रोक लगा दी थी। अकबरुद्दीन ने सोमवार को अपने संबोधन में हालांकि इस घटना का या चीन और पाकिस्तान का कोई जिक्र नहीं किया।
अकबरुद्दीन ने सुरक्षा परिषद को चेतावनी देने के लहजे में कहा, "इस तरह के निर्णयों या 'टालमटोल' की जिम्मेदारी कौन लेगा, जब घोषित आतंकवादी संगठनों या व्यक्तियों को सूचीबद्ध किए जाने को बाधित किया जाता है या आम-सहमति से निर्णय लेने की अस्पष्ट प्रक्रिया का सहारा लेकर तबतक के लिए रोक दिया जाता है, जबतक वह प्रक्रिया ही दम न तोड़ दे।" अन्य देशों के नेताओं ने भी आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में संयुक्त राष्ट्र की प्रभावहीनता का जिक्र किया। मिस्र के स्थायी प्रतिनिधि अम्र अब्दललतीफ अबूलट्टा ने भी संयुक्त राष्ट्र को सिर्फ प्रस्ताव पारित करने के बजाय आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में गंभीर कदम उठाने के लिए कहा।