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सामूहिक प्रयासों से किया जाना चाहिए आतंकवाद का खात्मा: प्रणब मुखर्जी

अक्रा (घाना): राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने आतंकवाद के खतरे का सामना कर रहे घाना के प्रति भारत के सहयोग का संकल्प जताते हुए कहा कि आतंकवाद एक ऐसा दंश है जो सीमाएं नहीं जानता और

Bhasha
Updated on: June 13, 2016 14:12 IST
pranab mukherjee- India TV Hindi
pranab mukherjee

अक्रा (घाना): राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने आतंकवाद के खतरे का सामना कर रहे घाना के प्रति भारत के सहयोग का संकल्प जताते हुए कहा कि आतंकवाद एक ऐसा दंश है जो सीमाएं नहीं जानता और सभ्य दुनिया के सामूहिक प्रयासों से इसका खात्मा किया जाना चाहिए।

दो दिवसीय दौरे पर यहां आए मुखर्जी ने कहा कि भारत तीन दशकों से आतंकवाद का पीड़ित रहा है और घाना की यह चिंता साझा करता है कि आतंकवाद वैश्विक खतरा बन गया है। किसी भारतीय राष्ट्रपति की यह पहली घाना यात्रा है।

घाना के राष्ट्रपति जॉन ड्रैमानी महामा द्वारा कल आयोजित भोज को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति मुखर्जी ने कहा यह एक दंश है और यह किसी खास देश की सीमा तक सीमित नहीं है। इसकी कोई विचारधारा नहीं है सिवाय भयावह विनाश की विचारधारा के। इसे सभ्य दुनिया के सामूहिक प्रयासों से खत्म किया जाना चाहिए। भारत आपके साथ एकजुटता दर्शाता है क्योंकि आप इस चुनौती का सामना कर रहे हैं।

मुखर्जी की यह यात्रा अफ्रीका के साथ अपने संबंध सुदृढ़ करने की भारत की कोशिश के तहत है। उन्होंने महात्मा गांधी को उद्धृत करते हुए घाना के पहले राष्ट्रपति क्वामे क्रुमाह और भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के रिश्तों को याद किया। निर्गुट आंदोलन की स्थापना में क्रुमाह और नेहरू दोनों की ही अहम भूमिका थी। मुखर्जी ने अपने संबोधन में रवीन्द्रनाथ टैगोर की अफ्रीका शीर्षक की कविता को भी उद्धृत किया।

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