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मिस्र : अदालत के फैसले पर सवाल उठाने पर ब्रिटिश राजदूत तलब

काहिरा: अल जजीरा समाचार चैनल के तीन पत्रकारों को सजा सुनाने के फैसले के खिलाफ ब्रिटेन के राजदूत की टिप्पणी पर मिस्र के विदेश मंत्रालय ने राजदूत को तलब किया है। 'अल अहराम' की रिपोर्ट

IANS
Updated on: August 31, 2015 17:14 IST
मिस्र  अदालत पर सवाल...- India TV Hindi
मिस्र अदालत पर सवाल उठाने पर ब्रिटिश राजदूत तलब

काहिरा: अल जजीरा समाचार चैनल के तीन पत्रकारों को सजा सुनाने के फैसले के खिलाफ ब्रिटेन के राजदूत की टिप्पणी पर मिस्र के विदेश मंत्रालय ने राजदूत को तलब किया है। 'अल अहराम' की रिपोर्ट के अनुसार, मिस्र के विदेश मंत्रालय ने रविवार को अपने आधिकारिक फेसबुक पृष्ठ पर लिखा कि वह अल जजीरा के पत्रकारों को सजा देने के मामले में ब्रिटिश राजदूत जॉन कैसन के टिप्पणी को पूरी तरह खारिज करता है। विदेश मंत्रालय ने फेसबुक पर लिखा है कि फैसले की कैसन की आलोचना "मिस्र के न्यायिक फैसलों में स्वीकार न की जा सकने वाली दखलंदाजी है।" बयान में कहा गया है, "ये वक्तव्य एक विदेशी धरती पर तैनात अधिकृत विदेशी राजदूत के लिए बने राजनयिक नियमों के विपरीत हैं। विदेशी राजदूत से उम्मीद की जाती है कि वह जिस देश में तैनात है उससे रिश्तों को और बेहतर बनाएगा।"

मिस्र की एक अदालत ने शनिवार को अल जजीरा के तीन पत्रकारों -मिस्र के बहर मोहम्मद, कनाडा के मोहम्मद फहमी और ऑस्ट्रेलिया के पीटर ग्रेस्ट- सहित छह लोगों को तीन साल कैद की सजा सुनाई थी। इन छह लोगों में दो ब्रिटिश भी हैं। अदालती सुनवाई में मौजूद रहे ब्रिटेन के राजदूत जॉन कैसन ने संवाददाताओं से बातचीत में फैसले पर चिंता जताते हुए इसे चौंकानेवाला बताया था। कैसन ने कहा था, "मुझे इस बात की चिंता है कि यह फैसला मिस्र के स्थायित्व में भरोसे को कम कर देगा। मिस्र में भी और दुनिया के अन्य देशों में भी।"कैसन ने कहा था कि वह मिस्र में स्थायित्व चाहते हैं। साथ ही कहा था, "सवाल यह है कि क्या यह बहुत नाजुक और अस्थायी स्थायित्व है जिसका आधार मीडिया की आजादी को छीनना और मिस्र के संविधान में मिले अधिकारों से लोगों को वंचित करना है।"

मिस्र के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अहमद अबु जैद ने कैसन के बयान की तीखी आलोचना की। उन्होंने कहा, "जिस बात का महत्व है वह है मिस्र के लोगों का अपनी न्यायपालिका की ईमानदारी और आजादी के प्रति विश्वास।" उन्होंने कहा कि मिस्र इस बारे में किसी से पाठ पढ़ने का इच्छुक नहीं है। सजा पाए हुए पत्रकारों को देश में बिना लाइसेंस काम करने और जून 2013 में मोहम्मद मुर्सी के राष्ट्रपति पद से हटने के बाद के तनावपूर्ण समय में मिस्र के हितों के खिलाफ खबरें प्रसारित करने का दोषी पाया गया है।

 

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