ला पाज: बोलीविया के सेवानिवृत्त जनरल गैरी प्राडो साल्मन ने कहा है कि क्यूबा कम्युनिस्ट पार्टी ने ही अर्जेटीना मूल के करिश्माई क्यूबाई गुरिल्ला नेता अर्नेस्टो 'चे' ग्वेरा को 'मरने के लिए' बोलीविया भेजा था, क्योंकि वे उन्हें और ज्यादा समय तक अपने साथ नहीं रखना चाहते थे। प्राडो ने ही सन 1967 में चे ग्वेरा को पकड़ा था। समाचार एजेंसी एफे न्यूज के साथ एक इंटरव्यू में प्राडो ने उस अवधारणा का बचाव किया, जो उनकी पुस्तक 'ला गुरिल्ला इनमोलादा' के नए संस्करण की प्रस्तावना में होगी, जिसमें आज से लगभग 50 वर्ष पूर्व बोलीविया में एक गुरिल्ला समूह में काम करने के दौरान चे के खराब दिनों का विश्लेषण किया गया है।
प्राडो ने कहा, ‘कई वर्षो के बाद, जो बात सामने आई है वह यह है कि उन्होंने (क्यूबा के तत्कालीन नेतृत्व ने) चे को यहां (बोलीविया में) अंतत: मरने के लिए भेजा था। वे उनसे छुटकारा पाना चाहते थे। यही सच्चाई है। (फिदेल) कास्त्रो, चे से छुटकारा पाना चाहते थे। केवल इसीलिए नहीं कि कास्त्रो यह चाहते थे, बल्कि इसलिए भी कि चे जिस तरह से आवेश में आ जाया करते थे, उससे क्यूबा की कम्युनिस्ट पार्टी उनके साथ ज्यादा समय तक नहीं बनी रह सकती थी।’
उस वक्त सेना में कैप्टन रहे प्राडो ने 8 अक्टूबर, 1967 को दक्षिण-पूर्वी बोलीविया में एक गश्त के दौरान चे को घायल कर दिया था और उन्हें पकड़ लिया था। प्राडो ने गुरिल्ला को अपने वरिष्ठ अधिकारियों को सौंप दिया था, जिन्होंने अगले ही दिन उन्हें ला हिग्वेरा कस्बे में फांसी दे दी थी। क्यूबा द्वारा चे को त्याग देने और सोवियत मॉडल को लेकर चे और कास्त्रो के बीच मतभेद की अटकलों ने विवाद को जन्म दिया है। लेकिन, क्यूबा ने तथा चे के परिवार ने भी इन अटकलों को सिरे से खारिज कर दिया है।