सिडनी: चीन सरकार और उसके समर्थकों ने ऑस्ट्रेलिया में रह रहे लोकतंत्र समर्थक चीनी छात्रों को बुरी तरह धमकाया है। अंतरराष्ट्रीय गैर सरकारी संगठन ह्यूमन राइट्स वाच ने अपनी एक रिपोर्ट में यह दावा किया है कि चीन ने इन छात्रों की निगरानी की, प्रताड़ित किया और उन्हें डराया लेकिन इस सब के बीच ऑस्ट्रेलियाई यूनिवर्सिटी इन छात्रों की अकादमिक स्वतंत्रता का संरक्षण करने मे नाकाम रहे। रिपोर्ट के मुताबिक, भयादोहन द्वारा पैदा किया गया डर हाल के वर्षों में तेजी से बढ़ा है। भयादोहन में सहपाठियों द्वारा छात्रों की गतिविधियों की शिकायत चीनी अधिकारियों से किया जाना भी शामिल है।
परिवारों से बदला लिए जाने का डर हो रहा हावी
चीन में अपने परिवारों से बदला लिये जाने के डर से ऑस्ट्रेलिया में कई चीनी छात्र और विद्वान बीजिंग से हजारों किलोमीटर दूर रहने के बावजूद अब अपने व्यवहार पर प्रतिबंध लगा रहे हैं। ह्यूमन राइट्स वॉच के लिए ऑस्ट्रेलिया के शोधार्थी एवं रिपोर्ट की लेखक सोफी मैकनेल ने कहा, ‘ये छात्र कितने अकेले हैं और घर से इतनी दूर रहते हुए किस कदर जोखिम में हैं तथा विश्वविद्यालय से सुरक्षा मिलने का अभाव, वास्तव में ये सब दुखद है। विश्वविद्यालय बीजिंग से जवाबी कार्रवाई का सामना करने को लेकर सशंकित हैं, इसलिए इन मुद्दों पर खुल कर चर्चा करने के बजाय वे चुप्पी साधे हुए हैं।’
कई तरीकों से छात्रों को धमका रहा है चीन
रिपोर्ट के मुताबिक, ऑस्ट्रेलिया में चीनी छात्रों की गतिविधियों को लेकर चीन में पुलिस ने 3 मामलों में छात्रों के परिवारों को मिलने के लिए कहा या उनके घर गई। ह्यूमन राइट्स वॉच ने कहा कि चीनी अधिकारियों ने ऑस्ट्रेलिया में ट्विटर पर लोकतंत्र समर्थक संदेश पोस्ट करने वाले एक छात्र को जेल में डालने की धमकी दी और एक अन्य का पासपोर्ट जब्त कर लिया, जिसने ऑस्ट्रेलिया में सहपाठियों के समक्ष लोकतंत्र के लिए समर्थन प्रकट किया था। ये मुद्दे ऑस्ट्रेलियाई विश्वविद्यालयों के लिए वित्तीय और कूटनीतिक रूप से संवेदनशील हैं। बता दें कि अंतरराष्ट्रीय शिक्षा ऑस्ट्रेलिया के शीर्ष निर्यात में शामिल है, जिसने 2019 में देश में 30 अरब डॉलर का योगदान दिया। (भाषा)
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