ओटावा: आतंकवाद के जुर्म में सजायाफ्ता जसपाल अटवाल ने मुंबई की अपनी यात्रा के दौरान एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने से कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो को हुई ‘शर्मिंदगी’ के लिए माफी मांगी है। अटवाल ने इस बात पर जोर दिया कि वह अब सिख स्वतंत्रता आंदोलन का समर्थन नहीं करता। अटवाल को लेकर विवाद पिछले महीने उत्पन्न हुआ था जब ट्रूडो की भारत की पहली राजकीय यात्रा के दौरान मुम्बई में एक कार्यक्रम में वह (अटवाल) कनाडा की प्रधानमंत्री की पत्नी सोफी ग्रेगोइरे एवं अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ एक तस्वीर में नजर आया था।
अटवाल को ट्रूडो की सप्ताह भर की भारत यात्रा के दौरान राजधानी दिल्ली स्थित कनाडाई उच्चायोग में आयोजित डिनर में भी आमंत्रित किया गया था। आमंत्रण बाद में वापस ले लिया गया था। 62 वर्षीय अटवाल एक सिख अलगाववादी था जो प्रतिबंधित सिख यूथ फेडरेशन में सक्रिय था। उसे 1986 में वैंकुवर में पंजाब के मंत्री मल्कियत सिंह सिद्धू की हत्या के प्रयास के लिए दोषी ठहराया गया था। उसे 20 वर्ष की जेल की सजा हुई थी। अटवाल को 1990 के दशक की शुरुआत में परोल पर रिहा किया गया। कई दिनों की चुप्पी के बाद अटवाल ने गुरुवार को वैंकुवर में अंतत: अपने वकील के कार्यालयमें अपनी स्थिति स्पष्ट की।
अटवाल ने एक लिखित बयान पढ़ते हुए कहा कि उसके एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने को लेकर विवाद उत्पन्न हुआ तो उसे ‘हैरानी’ हुई थी। अटवाल ने कहा, ‘मैंने यह माना था कि कोई समस्या नहीं होगी। किसी ने भी मुझसे यह नहीं कहा कि कोई मुद्दा पैदा होगा।’ स्टार डाट काम ने अटवाल के हवाले से कहा, ‘इस मामले को लेकर कनाडा, भारत, मेरे समुदाय और परिवार एवं मित्र को जो शर्मिंदगी हुई है उसके लिए मुझे खेद है।’