(साभार: telegraph)
प्योंगयांग: अपने वादे के खिलाफ जाते हुए उत्तर कोरिया का हाइड्रोजन बम परीक्षण करना अंतरराष्ट्रीय हलकों को रास नहीं आ रहा है। जहां एक ओर इस परीक्षण को लेकर संशय बरकरार है, वहीं उत्तरी कोरिया के एक सरकारी चैनल में इस बात की पुष्टि के बाद संयुक्त राष्ट्र ने भी उसे आगे ऐसा न करने की सलाह दी है। जानकारी के मुताबिक जिस वक्त यह परीक्षण हुआ उस वक्त लोगों ने भूकंप जैसे झटके भी महसूस किए। उत्तरी कोरिया के इस कदम के बाद अब संयुक्त राष्ट्र उस पर कुछ और पाबंदियां लगाने की तैयारियां कर रहा है। गौरतलब है कि इससे पहले भी कई राष्ट्र हाइड्रोजन बम का परीक्षण कर चुके हैं।
खुद उत्तर कोरिया ने किया दावा:
कोरिया ने एक चैनल में आधिकारिक रुप से इस बात की पुष्टि की है कि उसे पहला हाइड्रोजन बम बनाने में सफलता मिल गई है। इस परीक्षण पर चिंता जताते हुए संयुक्त राष्ट्र ने उत्तर कोरिया से कहा है कि वो आगे ऐसी कोई भी गतिविधि न करे जिससे कि संघर्ष जैसी स्थिति उत्पन्न होने की संभावना हो। जानकारी के मुताबिक यह परीक्षण बुधवार सुबह 10 बजे किया गया था।
क्या होता है हाइड्रोजन बम?
हाइड्रोजन बम परमाणु बम का एक किस्म है। हाइड्रोजन बम एक शक्तिशाली परमाणु बम होता है। इसको बनाने में हाइड्रोजन के समस्थानिक ड्यूटीरियम और ट्राइटिरियम की जरूरत पड़ती है। यह प्रक्रिया नाभिकीय संलयन कहलाती है। इस प्रक्रिया के लिए पांच करोड़ सेल्सियस (500,00,000°) तापमान की आवश्यकता होती है।
क्या है प्रक्रिया:
परमाणु बम निश्चित ताप उत्पन्न करता है जिससे नाभिकीय संलयन की प्रक्रिया होती है जिससे ऊष्मा और शक्तिशाली किरणें उत्पन्न होती हैं जो हाइड्रोजन को हीलियम में बदल देती हैं। 1922 ई. में पहले पहल पता लगा था कि हाइड्रोजन परमाणु के विस्फोट से बहुत अधिक ऊर्जा उत्पन्न हो सकती है। आपको बता दें कि साल 1932 में ड्यूटीरियम का और 1934 ई. में ट्राइटिरियम का आविष्कार हुआ था।
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