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50 साल पहले इस्राइल ने यूं पस्त किया था अरब देशों को, दुनिया रह गई थी दंग

इस लड़ाई ने दुनिया में इस्राइल को एक ताकतवर देश के तौर पर स्थापित कर दिया था जबकि अरब देशों को मुंह की खानी पड़ी थी...

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: September 04, 2017 16:13 IST
Arab Israel war 1967- India TV Hindi
Arab Israel war 1967

तेल अवीव: साल था 1967। अरब देशों और इस्राइल के बीच भयंकर युद्ध चल रहा था। कई अरब देशों के सामने एक छोटे-से देश इस्राइल ने इस बहादुरी के साथ जंग लड़ी कि दुनिया दंग रह गई थी। इस लड़ाई ने दुनिया में इस्राइल को एक ताकतवर देश के तौर पर स्थापित कर दिया था जबकि अरब देशों को मुंह की खानी पड़ी थी। आइए, जानते हैं 5 जून 1967 को शुरू हुई और 11 जून 1967 को खत्म हुई इस भीषण जंग के बारे में।

लड़ाई की शुरुआत 5 जून 1967 को हुई थी। कहा जाता है कि 5 जून की सुबह इस्राइली विमानों ने काहिरा और स्वेज के पास मिस्र के हवाई सैन्य अड्डों पर बम बरसाए। वहीं इस्राइल का पक्ष यह था कि मिस्र के विमानों और टैंकों ने इस्राइल पर पहले चढ़ाई की थी जिसका इस्राइल ने करारा जवाब दिया। हालांकि हकीकत कुछ भी रही हो, असल खबर यह थी कि जंग छिड़ चुकी थी और अरब देश एक-एक करके लड़ाई में कूद चुके थे। इस्राइल ने इस युद्ध में अपनी ताकत का भरपूर प्रदर्शन करते हुए वायुक्षेत्र पर पूरा नियंत्रण कर लिया था, और पहले दिन ही निर्णायक बढ़त ले ली थी।

मिस्र के साथ आए अन्य अरब देश

मिस्र के साथ सीरिया और जॉर्डन भी इस्राइल के खिलाफ लड़ाई में कूद पड़े। इनके अलावा इराक, कुवैत, सूडान, अल्जीरिया, यमन और सऊदी अरब ने भी मिस्र को इस लड़ाई में अपना समर्थन दिया। येरुशलम में भयानक युद्ध छिड़ गया और इस्राइल ने जबर्दस्त हवाई हमले जारी रखे। इस्राइल-जॉर्डन के मोर्चे पर भारी लड़ाई लड़ी गई। सीरियाई विमान तटीय शहर हैफा पर बम बरसा रहे थे तो इस्राइल ने भी दमिश्क एयरपोर्ट को निशाना बनाया।

दोनों देशों को था जीत का भरोसा
मिस्र और इस्राइल, दोनों ही देश इस लड़ाई में अपनी जीत पक्की मान रहे थे। अरब देश भी गजब के उत्साह में थे और उन्हें अपनी जीत का पूरा यकीन था। हालांकि इस लड़ाई ने दुनिया को परेशान कर दिया था। बिगड़ते हुए हालात को देखते हुए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने आपात बैठक बुलाई। तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति लिंडन बी जॉनसन से सभी पक्षों से तुरंत लड़ाई को रोक देने के लिए कहा।

इस्राइल ने किया बड़ा नुकसान
इस्राइली सैनिकों ने लड़ाई के दौरान अपने कब्जे में कई मिस्री और फिलिस्तीनी सैनिकों को कर लिया था। वहीं, इस्राइल की वायुसेना ने मिस्र को करारी चोट पहुंचाते हुए उसकी वायुसेना को पूरी तरह से तबाह कर दिया था। लड़ाई के पहले ही दिन विरोधियों के 400 लड़ाकू विमान मार गिराए गए थे, जिनमें 300 मिस्र और 50 सीरिया के लड़ाकू विमान थे। इस लड़ाई में इस्राइली सेना ने मिस्र, जॉर्डन और सीरिया की सेनाओं को बड़ा नुकसान पहुंचाया था।

और दुनिया ने माना इस्राइल का लोहा
11 जून को युद्धविराम समझौते पर हस्ताक्षर हुए। इस्राइल की जीत ने दुनिया को दंग कर दिया था। 6 दिन की इस लड़ाई में जहां इस्राइल के 1,000 से भी कम सैनिक मारे गए, वहीं अरब देशों के लगभग 20,000 सैनिकों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा था। इस लड़ाई के दौरान इस्राइल ने मिस्र से गाजा पट्टी और सिनाई प्रायद्वीप, जॉर्डन से वेस्ट बैंक के साथ-साथ पूर्वी येरूशलम और सीरिया से गोलन हाइट की पहाड़ियों को छीन लिया था। आज सिनाई प्रायद्वीप वापस मिस्र के पास है, जबकि वेस्ट बैंक और गाजा पट्टी फिलिस्तीनी इलाके में है। इस लड़ाई के बाद इस्राइल दुनिया के सबसे ताकतवर देशों में शुमार हो गया।

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