2030 में 'स्लीप मोड' में जाएगा सूरज
इससे पहले एक स्टडी में दावा किया गया था कि 2020 से 2030 के बीच सोलर साइकिल्स में होने वाली गड़बड़ी की वजह से मिनी आईस एज (हिमयुग) की स्थिति पैदा हो सकती है। सोलर एक्टिविटी से जुड़ी भविष्यवाणी करने वाले एक लेटेस्ट मॉडल के इन नतीजों को प्रोफेसर वैलेंटिना जारकोवा ने पेश किया है।वैज्ञानिकों के आकलन के मुताबिक, 2030 तक सोलर एक्टिविटी में 60 पर्सेंट तक की गिरावट हो सकती है। यह सूरज के स्लीप मोड में जाने जैसी स्थिति है। वैज्ञानिकों के मुताबिक, सोलर साइकिल्स की धीमी हो जाने की इस स्थिति को 'मौनडर मिनिमम' कहते हैं। इससे मिनी आईस ऐज की स्थिति पैदा होती है। जारकोवा ने अपनी भविष्यवाणी के 97 फीसदी तक सच होने की संभावना जताई है।
क्या है मिनी आईस ऐज
वैज्ञानिकों के मुताबिक, 1300 से 1870 के बीच मिनी या लिटिल आईएस एज का पीरियड माना जाता है। इस टाइम पीरियड में यूरोप और उत्तरी अमेरिका में 20वीं सदी के मुकाबले बेहद ठंडा मौसम रहा रही। सबसे ज्यादा प्रभाव 1646 से 1715 के बीच रहा। इसकी वजह से इतनी ठंडक पड़ी कि लंदन की टेम्स नदी तक जम गई थी।
क्या है सोलर साइकिल
सूरज की सतह से तयशुदा वक्त में एक निश्चित मात्रा में मैगनेटिक फ्लक्स निकलती हैं। इसका एक साइकिल करीब 11 साल का होता है, जिसे सोलर साइकिल कहते हैं।