इस्तांबुल: तुर्की में अमेरिका के राजदूत ने एकबार फिर कहा है कि उनके देश ने पिछले महीने यहां तख्तापलट के असफल प्रयास में कोई भूमिका नहीं निभाई थी। उनका यह बयान तुर्की के विभिन्न नेताओं द्वारा इस संबंध में आरोप लगाए जाने के बाद आया है। अमेरिकी राजदूत जॉन ब्रास ने अंग्रेजी दैनिक हुर्रियत से कहा, मैं सिर्फ एकबार फिर कहना चाहता हूं, जैसा मैंने पहले भी कहा है और हमने वाशिंगटन से भी कहा है कि अमेरिकी सरकार ने न तो कोई योजना बनाई, न निर्देश दिया, न समर्थन दिया और न ही उसे किसी अवैध गतिविधि की पहले से जानकारी थी, जो 15 जुलाई की रात और 16 जुलाई को हुई। बस।
उन्होंने कहा कि वह अपने देश को निशाना बनाकर लगाए जा रहे आरोपों से बेहद परेशान और अप्रसन्न हैं। पन्द्रह जुलाई की सैन्य कार्रवाई का दोष अंकारा ने अमेरिका में रहने वाले मुस्लिम धर्मगुरू फतउल्ला गुलेन पर लगाया था, जिससे अमेरिका के तुर्की के साथ संबंध प्रभावित हुए हैं। अंकारा ने अमेरिका से कहा है कि अगर वह पेंसिलवेनिया में रहने वाले गुलेन का प्रत्यर्पण नहीं करता है तो दोनों देशों के संबंध प्रभावित होंगे।
अर्दोआन ने विफल सैन्य कार्रवाई को बाहर से लिखी गई पटकथा बताया था। उन्होंने विदेशी संलिप्तता का संकेत दिया था। विफल तख्तापलट के प्रयास के तुरंत बाद श्रम मंत्री सुलेमान सोयलू ने कहा था, इस तख्तापलट के प्रयास के पीछे अमेरिका का हाथ है। इस सप्ताह तुर्की के पूर्व सेना प्रमुख इलकर बासबग ने दावा किया कि अमेरिकी केन्द्रीय खुफिया एजेंसी (CIA) भी इसके पीछे थी। बास ने 18 जुलाई को उन दावों का खंडन किया था कि उनके देश ने तुर्की में तख्तापलट के प्रयास का समर्थन किया था।