कहते हैं कि एक बच्ची को शिक्षित करना पूरे देश को शिक्षित करने के समान है। ये बात डॉ. हेलेन गेल ने कही है। बाक़ी देशों का तो मालूम नहीं लेकिन हां जापान ने इस बात की महत्ता को ज़रुर समझते हुए गंभीरता से लिया है।
जापान में एक वीरान रेल्वे स्टेशन है कामी-शिराताकी जहां सिर्प एक यात्री के लिये ट्रेन रुकती है। ये यात्री एक बच्ची है जो इस ट्रेन से स्कूल जाती है। जापान ने रेल्वे को सिर्फ एक यात्री पर इतना ख़र्च की परवाह किये बग़ैर इस वीराने स्टेशन पर ये सुविधा जारी रखी है ताकि बच्ची अपनी पढ़ाई पूरी कर सके।
कामी-शिराताकी एक दूर दराज का इलाक़ा है और इसी वजह से लोगों की यहां आवाजाही भी बहुत कम थी। हालात ये हो गए कि मालगाड़ी भी इस रास्ते आना बंद हो गईं थी। जापान रेल्वेज़ इस रेल स्टेशन को बंद कर ही रहा था कि उसे पता चला कि स्कूल की एक लड़की अभी भी रोज़ाना इस स्टेशन से स्कूल आ जा रही है। रेल्वे ने फ़ैसला किया कि लड़की जब तक ग्रेजुएट नहीं हो जाती ये स्टेशन बंद नहीं किया जाएगा।
रेल्वे ने लड़की की सुविधानुसार रेल का टाइम भी तय किया है। जिस दिन ये लड़की अपनी पढ़ाई पूरी कर लेगी उस दिन से यहां रेल्वे सुविधा बंद कर दी जाएगी।
सीसीटीवी के फ़ेसबुक पेज पर एक ने लिखा है: “जो सरकार अपने नागरिकों के लिये इतना कर सकती है तो कोई क्यों न उस देश के लिये जान दे दे।”
ये जापान सरकरा की अपने नागरिकों के लिये सही मायने में सच्ची चिंता ही है जो जापान को एक महान देश बनाती है, वो देश जो 40 के दशक में एटम बम के धमाके के बाद राख से खड़ा हुआ है।