3. इस्लाम में ईसा मसीह को पैग़ंबर का दर्जा है
इस्लाम में ईसा मसीह को पैग़ंबर का दर्जा दिया गया है। पश्चिमी देशों में कई लोगों को ये नहीं पता होगा कि जीसस ईस्वर की संतान थे। क़ुरान में विभिन्न संदर्भों में करीब 25 बार जीसस का ज़िक्र आया है।
हालंकि मुसलमान नहीं मानते कि जीसस ईश्वर की संतान थे लेकिन उनके लिये जीसस और बाइबल बुनियादी सिद्धांत हैं। क़ुरान में ईसाइयों और यहूदियों का भी सकारात्मक रुप में ज़िक्र है जो एक ईश्वर में विश्वास करते हैं।
4. बुर्का सांस्कृतिक परंपरा है इस्लामी ज़रुरत नही
माना जाता है कि इस्लाम में शालीनता बरक़रार रखने के लिये महिलाओं का बुर्का पहनना अनिवार्य है। क़ुरान महिलाओं और पुरुषों के लिये सलीक़े से कपड़े पहनने की बात करता है लेकिन कहीं भी इस बात का ज़िक्र नहीं है कि चेहरा ढकना ज़रुरी है। ज़्यादातर मुस्लिम स्कॉलर्स का मानना है कि बुर्का पहनना अनिवार्य नही है। यहां तक कि वो थोड़े लोग जो बुर्के की वक़ालत करते हैं, उनकी की भी इस विषय पर अलग-अलग राय है कि शरीर का कौन सा हिस्सा ढका होना चाहिये।
कई स्कॉलरों का मानना है कि बुर्के का चलन धार्मिक कारण से नहीं वरन सामाजिक परंपरा की वजह से है।
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