जोहानिसबर्ग: भारतीय नौसेना के तीन युद्धपोतों ने डरबन में अपनी तीन दिवसीय राजनयिक यात्रा पूरी की जो दक्षिण अफ्रीका के साथ संबंधों के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को रेखांकित करती है। रियर एडमिरल रवनीत सिंह की कमान में आईएनएस कोलकाता, आईएनएस त्रिकंद एवं आईएनएस आदित्य की इस पहल का मकसद हिंद महासागर क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा सुनिश्चित करने में भारत की साझेदारी को रेखांकित करना था।
भारतीय नौसेना ने हालिया वर्षों में अपनी भूमिका में विस्तार किया है और वह भारतीय तटरेखा की रक्षा से लेकर हिंद महासागर क्षेत्र में देश के रणनीतिक हितों की सुरक्षा सुनिश्चित करने तक की जिम्मेदारी निभा रही है। नौसेना के पश्चिमी बेड़े के पोत हिंद महासागर के पश्चिमी रिम के पास के देशों में दो महीने की तैनाती पर रहे हैं। यात्रा कार्यक्रम में मोजाम्बिक, केन्या, तंजानिया, मेडागास्कर, मारीशस और सेशेल्स भी शामिल हैं।
इस दौरान स्थानीय लोगों ने नौसेना के पोतों को देखा जिनमें से अधिकतर भारतीय मूल के थे। मछली पकड़ने में इस्तेमाल की जाने वाली एक नौका पर काम करने वाले आनंद नायडू ने कहा, भारत के बेड़े की तकनीकी क्षमता देखना लाजवाब था, ऐसा लगता है कि वे उन सभी समुद्री लुटेरों से निपटने के लिए तैयार हैं जो सोमालियाई जल से हिंद महासागर में आना चाहते हैं।
भारतीय चालक दल ने लोगों से बातचीत करने के अलावा अपने दक्षिण अफ्रीकी समकक्षों से भी पेशेवर स्तर पर मुलाकात की, ताकि समुद्री सहयोग बढ़ाया जा सके और आतंकवाद एवं समुद्री डकैती जैसे खतरों से निपटने समेत नौसैन्य अभियान योजनाएं विकसित की जा सकें। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हालिया यात्रा में मोदी एवं दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति जैकब जुमा ने रक्षा, विशेषकर समुद्री सुरक्षा के क्षेत्र में सहयोग को रेखांकित किया था।