मीना: सऊदी अरब में इन दिनों चल रहे वार्षिक हज यात्रा के तहत दुनिया भर से करीब 20 लाख लोग तौबा करने और दुआ मांगने के लिए अराफात पर्वत पर पहुंचे और हज के सबसे महत्वपूर्ण इस धार्मिक दस्तूर को पूरा किया। सऊदी अरब के शहर मक्का के पूरब में स्थित अराफात पर्वत (दया पर्वत) पर हज यात्री रविवार सुबह से दिन भर नमाज और पवित्र कुरान का पाठ करते रहे। यह वही स्थान है जहां पैगंबर मोहम्मद साहब ने आखिरी हज उपदेश दिया था। (ये भी देखें: देखें मक्का-मदीना के रोचक तथ्य तस्वीरों में)
अराफात का दिन धू अल हिजा का 9वां दिन होता है और यह इस्लामिक कैलेंडर का आखिरी माह होता है। यह ईद उल अजहा (कुर्बानी का उत्सव) के एक दिन पहले आता है।
इस हफ्ते मक्का में बड़ी मस्जिद में शुरुआती अनुष्ठान पूरा करने के बाद हज यात्री शनिवार को पूरब में स्थित मीना के लिए कूच किए और उसके बाद मक्का से 15 किलोमीटर दूर अराफात पर्वत के लिए प्रस्थान किया।
मीना घाटी तालबिया से गुंजायमान हो रही थी। इसकी धारणा यह है कि हज केवल अल्लाह की शान के इरादे से किया जाता है।
सऊदी गजट ने मिस्र के नागरिक 60 वर्षीय हसन मुहम्मद के हवाले से कहा है, "यह एक ऐसा अहसास है जिसका वर्णन नहीं किया जा सकता। इसे समझने के लिए आपको इसे जीना होगा।"
मिस्र के ही अशरफ जलात (43) कहते हैं, "इस वार्षिक हज यात्रा में 150 देशों के श्रद्धालु भाग ले रहे हैं। वे दुनिया की लगभग हर भाषा में बात करते हैं। सभी मुस्लिम धार्मिक आस्था के एक बैनर के तले जुटे हैं।"
अराफात के बाद ये हज यात्री मुजदालिफाह के लिए कूच करेंगे। ये वहां साथ में नमाज अदा करेंगे और रात में विश्राम करेंगे।
मुजदालिफाह से ये मीना में शैतान को मारने के लिए पत्थर के टुकड़े एकत्र करेंगे। सभी सोमवार की सुबह हज का अनुष्ठान पूरे करने के लिए मीना पहुंचेंगे। इस दौरान जानवरों की कुर्बानी देने और अपना मुंडन कराने का काम करेंगे। इसके बाद वह इहराम से बाहर जाएंगे और तवाफ अल-इफादाह के लिए मक्का जाएंगे जो हज का एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है।
तीन दशकों से भी अधिक अर्से बाद पहली बार सऊदी अरब के शीर्ष मुफ्ती शेख अब्दुलअजीज अल शेख इस साल हज का उपदेश नहीं देंगे।
पिछले वर्ष हज यात्रा के दौरान हुई भगदड़ में 770 हज यात्रियों की मौत हो गई थी। सबसे अधिक ईरान के लोग मरे थे। ईरान ने मरने वालों की संख्या करीब 4700 बताई थी।