संयुक्त राष्ट्र: संयुक्त राष्ट्र को पिछले साल यौन उत्पीड़न की 138 शिकायतें मिलीं जिसमें से तकरीबन आधी संयुक्त राष्ट्र शांति मिशनों और विशेष राजनीतिक मिशनों पर भेजे गए कर्मियों के खिलाफ हैं। ऐसे अपराधों के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति को लागू करने के संबंध में संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने अपनी एक रिपोर्ट में आज कहा कि कर्मियों के खिलाफ लगने वाले ऐसे आरोपों में 2016 के 165 मामलों के मुकाबले 2017 में 138 मामले आये हैं। यौन उत्पीड़न और अपराध पर संयुक्त राष्ट्र की प्रतिक्रिया में सुधार की विशेष समन्वयक जीन होल लुते ने कल कहा था कि रिपोर्ट इस संदेश को स्पष्ट करता है कि संयुक्त राष्ट्र के झंडे तले काम करने वाला कोई भी व्यक्ति/कर्मि यौन उत्पीड़न से जुड़ा हुआ नहीं होना चाहिए। (मरने से पहले स्टीफन हॉकिंग ने की थी भविष्यवाणी, इंसान छोड़ दे धरती, नहीं तो जिंदा रहना मुश्किल )
उन्होंने कहा, ‘‘यह उनकी मुख्य प्राथमिकताओं में शामिल है।’’ लुते ने कहा कि 2017 के आंकड़े दिखाते हैं कि आरोपों की संख्या में कमी आयी है। उन्होंने कहा कि पिछले साल कुल 138 आरोप लगे हैं जो वर्ष 2016 में लगे 165 आरोपों के मुकाबले कम हैं। इनमें से 62 आरोप संयुक्त राष्ट्र के विशेष शांति मिशनों और विशेष राजनीतिक मिशन के कर्मियों के खिलाफ लगे हैं जो 2016 में लगे ऐसे 104 आरोपों के मुकाबले कम हैं। उन्होंने हालांकि कहा कि संयुक्त राष्ट्र की अन्य संस्थाओं और उनकी योजनाओं को लागू करने वाले सहयोगियों के कर्मियों के खिलाफ मिलने वाली शिकायतें इस अवधि में 42 से बढ़कर 75 हो गयी हैं। वहीं एएफपी की खबर के अनुसार, मध्य अफ्रीकी गणतंत्र में एमआईएनयूएससीए मिशन के खिलाफ शिकायतों में भारी कमी आई है। पिछले साल 19 शिकायतें दर्ज हुईं हैं जबकि 2016 में 52 आरोप लगे थे।
पिछले हफ्ते गबोन ने ऐलान किया था कि वह यौन उत्पीड़न के मामलों और अन्य परेशानियों के बाद एमआईएनयूएससीए से अपने सैनिकों को वापस बुला रहा है। गुतारेस ने शांति रक्षकों और संयुक्त राष्ट्र कर्मियों पर दुर्व्यवहार के आरोपों पर संयुक्त राष्ट्र की कड़ी प्रतिक्रिया का प्रण लिया, जिसके मिशनों की जिम्मेदारी संघर्षरत क्षेत्रों में नागरिकों की हिफाजत करना है। गुतारेस ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र के तहत काम करने वाले किसी भी व्यक्ति की संलिप्तता यौन उत्पीड़न के मामलों में नहीं होनी चाहिए।