टोरंटो: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का बुधवार को कनाडा के टोरंटो स्थित रिकोह कोलेशियम स्टेडियम में भारतीय समुदाय के लोगों ने जोरदार स्वागत किया। उनका भाषण सुनने यहां करीब 10,000 भारतीय-अमेरिकी पहुंचे। इस दौरान हिंदी फिल्मों के गायक सुखविंदर सिंह और कोरियोग्राफर श्यामक डावर की नृत्य मंडली सहित अन्य समूहों ने अपनी प्रस्तुतियों से कार्यक्रम की रौनक बढ़ा दी। प्रधानमंत्री मोदी के घंटे भर चले भाषण के दौरान स्टेडियम में मौजूद लोगों ने कई बार 'मोदी, मोदी..' के नारे लगाए, जिससे उन्हें अपना भाषण बीच-बीच में रोकना पड़ा। इस दौरान मोदी ने भारत में बदलाव के बारे में बात की।
कनाडा के प्रधानमंत्री स्टीफन हार्पर और उनके मंत्रिमंडल के सहयोगियों की मौजूदगी में हिंदी में भाषण देते हुए मोदी ने बार-बार 'सरकार नहीं बदली, जनमानस बदला है 10 महीने में' पर जोर दिया।
नए परिवेश में मोदी ने कहा कि लोग नए विचारों पर जोश के साथ प्रतिक्रिया दे रहे हैं। फिर चाहे वह उनका स्वच्छ भारत अभियान हो या गरीबों के लिए बैंक खाते और रसोईगैस सब्सिडी का मामला हो।
मोदी ने कहा कि लोकप्रिय हस्तियां स्वयं आगे बढ़कर स्वच्छ भारत अभियान में शरीक हुई हैं। गरीब लोगों के नए बैंक खातों में 14,000 करोड़ रुपये जमा किए गए हैं और अमीर लोग स्वेच्छा से अपनी रसोई गैस सब्सिडी छोड़ रहे हैं, ताकि गरीबों की मदद की जा सके। उन्होंने कहा, "मोदी ने कुछ नहीं किया। यह देश का आम आदमी है, जो बदल गया है।"
मोदी ने जब भी पिछली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार पर चुटकी ली तो हॉल तालियों से गूंज उठा।
लेकिन प्रधानमंत्री को सबसे अधिक वाहवाही उस समय मिली, जब उन्होंने कहा कि उनका अभियान स्कील इंडिया है, जबकि पुरानी संप्रग सरकार का अभियान स्कैम (घोटाला) इंडिया रहा है।
प्रधनमंत्री मोदी ने अपने स्वच्छ भारत अभियान और भ्रष्टाचार को समाप्त करने की ओर इशारा करते हुए कहा, "जिन्होंने गंदगी करनी थी, वो करके चले गए। लेकिन हम सफाई करके जाएंगे।" उनके ऐसा कहने पर हॉल में एक बार फिर तालियों की गड़गड़ाहट सुनी गई।
मोदी ने कहा कि उनकी सरकार भारत के राष्ट्रध्वज में मौजूद चार रंगों- केसरिया, सफेद, हरा और नीले रंग के अर्थ को समेटे इसके अनुरूप काम कर रही है। केसरिया का अर्थ ऊर्जा क्रांति से है, जबकि सफेद का अर्थ दूसरी श्वेत क्रांति से है। वहीं हरे रंग का तात्पर्य दूसरी हरित क्रांति नीले रंग का तात्पर्य पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बगैर विनिर्माण प्रक्रिया को बढ़ावा देना है।
प्रधानमंत्री मोदी ने हैरानी जताई कि आखिर क्यों गूगल और माइक्रोसॉफ्ट जैसी कंपनियों की स्थापना भारत में नहीं की जा सकती, जबकि भारतीय आईटी पेशेवर इन कंपनियों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
मोदी ने अपनी तीन देशों के दौरे के अंतिम पड़ाव में कनाडा के अपने समकक्ष स्टीफन हार्पर की मेहमाननवाजी के लिए उनका शुक्रिया करते हए कहा, "आज हमने दोनों देशों के बीच सहयोग की दिशा में एक नए युग की शुरुआत की है और यह लंबे समय तक बरकरार रखा जाएगा। कनाडा में वे सभी संसाधन मौजूद हैं, जिसकी भारत को जरूरत है।"