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जिस अधिकारी पर ममता बनर्जी ने फोन टैपिंग का लगाया था आरोप, उसे ही बना दिया बंगाल का डीजीपी

पश्चिम बंगाल की ममता सरकार ने जिन आईपीएस अफसर राजीव कुमार को राज्या का नया डीजीपी बनाया है, उन्हीं कुमार पर ममता की पार्टी टीएमसी कभी बेहद गंभीर आरोप लगाती थी। राजीव कुमार को अपने करियर में जितनी प्रशंसा मिली तो उतना ही उनका विवादों से भी नाता रहा।

Edited By: Swayam Prakash @swayamniranjan_
Published on: December 28, 2023 7:25 IST
DGP Rajeev Kumar- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO सीएम ममता बनर्जी के साथ आईपीएस राजीव कुमार

साल 2009 में पश्चिम बंगाल में विपक्ष में रहते हुए तृणमूल कांग्रेस (TMC) ने कोलकाता पुलिस के विशेष कार्य बल (STF) प्रमुख राजीव कुमार पर तत्कालीन रेल मंत्री ममता बनर्जी का फोन टैप करने का आरोप लगाया था। फिर एक दशक बाद 2019 में राज्य की मुख्यमंत्री बनर्जी ने शारदा चिटफंड मामले में कुमार के खिलाफ केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) जांच का विरोध किया था और अब पश्चिम बंगाल की टीएमसी सरकार ने ही 27 दिसंबर 2023 को उन्ही राजीव कुमार को राज्य का पुलिस महानिदेशक (DGP) और पुलिस महानिरीक्षक (IGP) नियुक्त कर दिया। 

ममता के करीबी,  विवाद और प्रशंसा हमेशा रही साथ

बता दें कि राजीव कुमार (57) फिलहाल सूचना एवं प्रौद्योगिकी विभाग में प्रधान सचिव हैं। उन्हें सीएम ममता बनर्जी का करीबी माना जाता है और वह अपनी जांच और इलेक्ट्रॉनिक निगरानी कौशल के लिए जाने जाते हैं। पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य के पसंदीदा अधिकारी रहे राजीव कुमार का करियर विवादों और प्रशंसा दोनों से जुड़ा रहा है। भारतीय पुलिस सेवा (IPS) के 1989 बैच के अधिकारी कुमार के पास आईआईटी रूड़की से इंजीनियरिंग की डिग्री है। वह कोलकाता पुलिस के आयुक्त, संयुक्त आयुक्त (STF) और महानिदेशक (CID) जैसे प्रमुख पदों पर काम कर चुके हैं। उनके नेतृत्व में, कोलकाता पुलिस के एसटीएफ की माओवादियों के खिलाफ उसके अभियानों के लिए काफी चर्चा हुई थी। उन्होंने लालगढ़ आंदोलन के एक महत्वपूर्ण व्यक्ति छत्रधर महतो को पकड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 

2009 में ममता के फोन टैप के आरोप 

उत्तर प्रदेश के मूल निवासी राजीव को 2009 में एसटीएफ प्रमुख के तौर पर कार्य करते हुए टीएमसी के तत्कालीन राष्ट्रीय महासचिव मुकुल रॉय के आरोपों का सामना करना पड़ा था। रॉय ने उन पर वाम मोर्चा सरकार के कहने पर तत्कालीन रेल मंत्री ममता बनर्जी का फोन टैप करने का आरोप लगाया था। साल 2011 में जब ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली टीएमसी वाम मोर्चे को हराकर सत्ता में आई, तो कुमार को एक कम महत्वपूर्ण पद पर ट्रांसफर करने का प्रयास किया गया, लेकिन वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने इस कदम को रोकने के लिए हस्तक्षेप किया। 

शारदा समूह के अध्यक्ष को गिया था गिरफ्तार

इसके बाद साल 2012 में जब बिधाननगर पुलिस आयुक्तालय की स्थापना हुई, तो राजीव कुमार इसके पहले आयुक्त बने। साल 2013 में, जब शारदा चिटफंड घोटाला सामने आया और टीएमसी सरकार भारी दबाव में थी, तब राजीव कुमार ने शारदा समूह के अध्यक्ष सुदीप्त सेन और साझेदार देबजानी मुखर्जी को कश्मीर से गिरफ्तार कर लिया। कुमार ने विशेष जांच दल (एसआईटी) का नेतृत्व किया और सत्तारूढ़ सरकार से उनकी निकटता के चलते उनकी प्रशंसा और आलोचना दोनों हुई। नवंबर 2013 में, तब बगावती तेवर दिखा रहे टीएमसी सांसद कुणाल घोष को एसआईटी ने गिरफ्तार किया था। वह वर्तमान में पार्टी प्रवक्ता हैं। 

निर्वाचन आयोग ने किया था ट्रांसफर

वरिष्ठ कांग्रेस नेता अब्दुल मन्नान की याचिका पर मई 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने चिटफंड घोटाले की सीबीआई जांच का आदेश दिया था। कुमार को फरवरी 2016 में कोलकाता का 21वां पुलिस आयुक्त नियुक्त किया गया। साल 2016 के विधानसभा चुनावों के दौरान, निर्वाचन आयोग ने उन्हें पद से ट्रांसफर करने का फैसला किया, लेकिन लगातार दूसरी बार सत्ता में लौटने के बाद ममता बनर्जी ने उन्हें बहाल कर दिया। 

घोटाले में भी हो चुकी है सीबीआई पूछताछ

तीन फरवरी 2019 को जब सीबीआई की टीम घोटाले से संबंध में पूछताछ करने के लिए राजीव कुमार के घर गई थी तो उसे रोका गया और मुख्यमंत्री बनर्जी भाजपा नीत केंद्र सरकार पर विपक्ष के खिलाफ केंद्रीय एजेंसियों का इस्तेमाल करने का आरोप लगाते हुए धरने पर बैठ गई थीं। कुमार उस वक्त कोलकाता के पुलिस आयुक्त थे। अदालत के आदेश के बाद, शारदा मामले की जांच के संबंध में मेघालय के शिलांग में सीबीआई ने उनसे पूछताछ की।

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