पश्चिमी बंगाल के पूर्व मेदिनीपुर जिले में एक पंचायत के प्रमुख ने तृणमूल कांग्रेस के महासचिव अभिषेक बनर्जी के निर्देश के बाद रविवार को पद से इस्तीफा दे दिया लेकिन दावा किया कि वरिष्ठ नेता को पार्टी में उनके विरोधियों ने गुमराह किया है। टीएमसी सूत्रों ने बताया कि मरिश्दा ग्राम पंचायत के दो अन्य पदाधिकारियों ने भी बनर्जी के कहने पर इस्तीफा दे दिया है।
क्या विरोधी गुट के बहकावे में आ गए अभिषेक बनर्जी
गौरतलब है कि ममता बनर्जी के बाद अभिषेक बनर्जी को पार्टी में दूसरे नंबर का नेता माना जाता है। दरअसल, जिले के कौंथि में शनिवार को एक रैली में जाते वक्त बनर्जी ने अचानक मरिश्दा का दौरा किया। कुछ आक्रोशित लोगों से बात करने के बाद उन्होंने ग्राम पंचायत के प्रधान झुमुरानी मंडल और उनके दो सहकर्मियों को अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के गरीब ग्रामीणों से कथित भेदभाव करने के लिए 48 घंटे के भीतर इस्तीफा देने को कहा था। मंडल ने अपने कार्यकाल में इलाके में विकास होने का दावा करते हुए पार्टी में अपने ‘‘विरोधी गुट’’ पर बनर्जी को गुमराह करने का आरोप लगाया। उन्होंने पत्रकारों से कहा, ‘‘यह मुझे फंसाने की कुछ लोगों की साजिश है।’’ उन्होंने कहा कि राज्य तथा केंद्रीय परियोजनाओं के लाभार्थियों की सूची पंचायत प्रधान नहीं बनाता है। मंडल ने पूछा, ‘‘मैं उन लोगों को पैसा कैसे बांट सकती हूं जो सूची में शामिल नहीं हैं?’’
अभिषेक बनर्जी का फरमान बस एक ढकोसला
पश्चिम बंगाल के भारतीय जनता पार्टी (BJP) के वरिष्ठ नेता राहुल सिन्हा ने बनर्जी के फरमान को ‘‘ढकोसला’’ बताया। सिन्हा ने कहा, ‘‘अगर अभिषेक बनर्जी पश्चिम बंगाल में लोगों के एक बड़े समूह से बातचीत करते हैं तो उन्हें ऐसा ही अनुभव मिलेगा। पंचायत चुनाव नजदीक आने पर वह यह ढकोसला कर रहे हैं क्योंकि लोग TMC नेताओं के खिलाफ हो गए हैं।’’ राज्य में अगले साल की शुरुआत में पंचायत चुनाव होने हैं। वहीं, TMC के प्रदेश प्रवक्ता कुनाल घोष ने कहा, ‘‘हमारे नेता अभिषेक बनर्जी ने दिखाया है कि जब भी आम आदमी, गरीब और जरूरतमंद की सेवा की बात आती है तो पार्टी कड़ी कार्रवाई करने से भी नहीं हिचकिचाएगी।’’