Friday, November 15, 2024
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West Bengal News: 'बंगाल में कोई भी बिना पैसे दिए नौकरी नहीं पा सकता', जानें हाईकोर्ट के जज ने ऐसा क्यों कहा

West Bengal News: जिला प्राथमिक शिक्षा बोर्ड ने 4 महीने की नौकरी के बाद एक युवक को नौकरी से निकालने का आदेश दे दिया था। मंगलवार को इस मामले में सुनवाई के दौरान कलकत्ता हाईकोर्ट ने युवक को फिर से काम पर रखा। जज ने अपने अवलोकन के माध्यम से पश्चिम बंगाल में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार की असली तस्वीर को उजागर किया है।

Edited By: Khushbu Rawal
Updated on: August 16, 2022 23:56 IST
Bribe- India TV Hindi
Image Source : PIXABAY Bribe (Representational Image)

Highlights

  • पश्चिम बंगाल में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार की असली तस्वीर उजागर
  • जिला प्राथमिक शिक्षा बोर्ड ने 4 महीने बाद ही युवक को नौकरी से निकाला
  • मुर्शिदाबाद जिले के सरकारी स्कूल में प्राथमिक शिक्षक था युवक

West Bengal News: पश्चिम बंगाल में सरकारी नौकरियों में भर्ती को लेकर हो रही धांधली का एक बार फिर पर्दाफाश हुआ। जिला प्राथमिक शिक्षा बोर्ड ने 4 महीने की नौकरी के बाद एक युवक को नौकरी से निकालने का आदेश दे दिया। मंगलवार को इस मामले में सुनवाई के दौरान कलकत्ता हाईकोर्ट (Calcutta High Court) ने युवक को फिर से काम पर रखा। इस मामले पर कड़ी टिप्पणी करते हुए कलकत्ता हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने कहा कि पश्चिम बंगाल एक ऐसा राज्य बन गया है, जहां कोई भी बिना पैसे दिए राज्य सरकार की नौकरी को सुरक्षित या बरकरार नहीं रख सकता है।

'पैसे नहीं दिए और इसलिए रोजगार समाप्त कर दिया'

कलकत्ता हाईकोर्ट के जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय की सिंगल जज बेंच ने अपनी नियुक्ति के 4 महीने बाद एक सरकारी स्कूल में प्राथमिक शिक्षक की बर्खास्तगी से संबंधित फैसला सुनाते हुए पश्चिम बंगाल प्राथमिक शिक्षा बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष और तृणमूल कांग्रेस के विधायक माणिक भट्टाचार्य के नाम का भी जिक्र किया। गंगोपाध्याय ने कहा, "शायद, वादी ने माणिक भट्टाचार्य को पैसे नहीं दिए और इसलिए उनका रोजगार समाप्त कर दिया गया। पश्चिम बंगाल एक ऐसा राज्य बन गया है, जहां कोई भी बिना पैसे दिए राज्य सरकार की नौकरी हासिल नहीं कर सकता है।"

जस्टिस गंगोपाध्याय के आदेश के बाद, माणिक भट्टाचार्य को WBBPE अध्यक्ष के पद से हटा दिया गया था। गंगोपाध्याय ने इस साल जून में WBBPE भर्ती में केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) से जांच का आदेश देते हुए भट्टाचार्य को उनकी कुर्सी से हटाने का भी आदेश दिया था। यह विशेष मामला जिस पर जस्टिस गंगोपाध्याय ने इतनी कड़ी टिप्पणी की, एक व्यक्ति मिराज शेख द्वारा मुकदमेबाजी से संबंधित है, जिसे दिसंबर 2021 में पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले के एक सरकारी स्कूल में प्राथमिक शिक्षक के रूप में नियुक्त किया गया था।

जानें, बोर्ड ने शिक्षक को क्यों किया था बर्खास्त
हालांकि, सेवा में शामिल होने के ठीक 4 महीने बाद, डब्ल्यूबीबीपीई द्वारा यह कहते हुए उनकी सेवा समाप्त कर दी गई कि उनके पास बोर्ड के मानदंडों के अनुसार आरक्षित श्रेणी में नियुक्त होने के लिए ग्रेजुएशन में 45% के योग्यता अंक नहीं हैं। शेख ने आदेश को चुनौती दी और समर्थन में उन्होंने अपना ग्रेजुएशन का प्रमाणपत्र प्रस्तुत किया, जिसमें उनके अंक 46% थे। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने और वादी द्वारा रखे गए डॉक्यूमेंट्स से संतुष्ट होने के बाद जस्टिस गंगोपाध्याय ने मंगलवार को डब्ल्यूबीबीपीई को वादी को प्राथमिक शिक्षक के रूप में तुरंत बहाल करने का आदेश दिया। इसके बाद, उन्होंने यह टिप्पणी की कि पश्चिम बंगाल में कोई भी भर्ती बिना पैसे दिए नहीं होती है।

तृणमूल कांग्रेस के नेताओं ने जस्टिस गंगोपाध्याय की टिप्पणियों पर बयान देने से परहेज किया है। हालांकि, विपक्ष ने दावा किया कि जज ने अपने अवलोकन के माध्यम से पश्चिम बंगाल में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार की असली तस्वीर को उजागर किया है।

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