नई दिल्ली। पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार ने 1 जुलाई को डॉक्टर्स डे के उपलक्ष में डॉक्टर्स को सम्मान देने के लिए स्टेट हॉलिडे की घोषणा की है। ममता बनर्जी ने केंद्र सरकार से भी आग्रह किया है कि 1 जुलाई को सेंट्रल होलीडे डिक्लेअर किया जाए। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि हमने फ्रंटलाइन योद्धाओं के रूप में काम कर रहे डॉक्टरों, नर्सों अन्य लोगों का आभार व्यक्त करने के लिए 1जुलाई (डॉक्टर दिवस) को राज्य अवकाश के रूप में घोषित किया है। मैं केंद्र से भी अनुरोध करती हूं कि वह फ्रंटलाइन योद्धाओं के सम्मान में इसे राष्ट्रीय अवकाश घोषित करें।
कोरोना संकट काल में डॉक्टरों की सुरक्षा और सम्मान बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार के बाद कई राज्य सरकारें फैसले ले रही हैं। कोरोना संकट के समय लोगों की जान बचाने के लिए डॉक्टर्स पहली पंक्ति पर खड़े हैं। जो अपनी जान जोखिम में डालकर लोगों का इलाज कर रहे हैं। बता दें कि केंद्र सरकार ने डॉक्टरों की सुरक्षा पुख्या करने के लिए कई बड़े कदम उठाए हैं।
कोलकाता में नुकसान के चलते कई निजी बसें सड़कों से नदारद, यात्रियों की बढ़ी मुश्किलें
ईंधन के बढ़ते दामों और कोविड-19 के कारण कम यात्रियों को बिठाने की पाबंदी से हुए नुकसान के चलते कोलकाता में बड़ी संख्या में निजी बसें सड़कों से नदारद हैं, जिसकी वजह से यात्रियों को सोमवार को मुश्किलों का सामना करना पड़ा। निजी बसों से जुड़े संगठन किराया बढ़ाने की मांग कर रहे हैं। यात्रियों ने महानगर और उसके उपनगरों में कम निजी बसों के परिचालन के कारण पिछले सप्ताह की तुलना में अपने गंतव्य तक पहुंचने में देरी की शिकायत की है।
बीते आठ जून को अनलॉक-1 शुरू होने के बाद से ही सार्वजनिक परिवहन के अभाव के कारण यात्रियों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। आठ जून को अधिकतर सरकारी तथा निजी कार्यालय और एवं प्रतिष्ठान फिर से खोल दिये गए थे। शहर और जिलों में निजी बस ऑपरेटरों के सबसे बड़े संघों में से एक ज्वाइंट काउंसिल ऑफ बस सिंडिकेट्स ने कहा कि वर्तमान किराया व्यवस्था व्यवहार्य नहीं है।
संघ के महासचिव तपन बनर्जी ने कहा, ''ईंधन के ऊंचे दामों और यात्रियों की संख्या सीमित रखने के सरकार के निर्देशों ने कुल मिलकर सेवाओं को चरमरा दिया है। टिकटों की इतनी बिक्री भी नहीं हो रही कि ईंधन का खर्च निकल जाए, दूसरे खर्चों की बात तो छोड़ ही दीजिये।'' ईंधन के दामों में अकेले तीन सप्ताह के अंदर सोमवार को 22वीं बार वृद्धि हुई है।
विज्ञापन एजेंसी में काम करने वाली दिपाली रॉय ने कहा कि उन्हें दफ्तर आने-जाने में रोजाना परेशानी हो रही है। उन्होंने कहा, ''आज सुबह मैं दो घंटे देर से काम पर पहुंची क्योंकि हवाई अड्डे के प्रवेश द्वार-1 से टॉलीगंज के लिये कोई बस उपलब्ध नहीं थी। बारिश भी हो रही थी, साथ ही ऐप आधारित कैब बुकिंग कैंसल कर रही थीं। आखिरकार मुझे एक टैक्सी मिली, जिससे मैं दफ्तर पहुंची।''
कस्बा के निवासी अंकित गुप्ता ने कहा, ''साल्ट लेक के सेक्टर पांच में दफ्तर जाना किसी बुरे सपने की तरह था क्योंकि बसें बहुत कम थीं और अधिकतर बसें बैठने की क्षमता के अनुसार भरी हुई थीं। ऐप आधारित कैब बहुत अधिक किराया मांग रही थीं और टैक्सी मिल पाना तो किस्मत की बात है।''
अखिल बंगाल बस मिनी बस समन्वय समिति के महासचिव राहुल चटर्जी के अनुसार राज्य में लगभग 27 हजार निजी बसें हैं। अधिकारियों ने कहा है कि बीते सप्ताह से लगभग 25 प्रतिशत बसें चल रही हैं। राज्य के परिवहन उपक्रम डब्ल्यूबीटीसी के प्रबंधन निदेशक राजनवीर सिंह कपूर का कहना है कि बसें पूरी संख्या में चल रही हैं।