पश्चिम बंगाल में कलकत्ता हाई कोर्ट का एक बड़ा फैसला आया है। कलकत्ता हाई कोर्ट ने 2010 के बाद दिए गए सारे OBC सर्टिफिकेट को रद्द करने का आदेश दिया। आदेश के मुताबिक जिन लोगों को नौकरी मिल चुकी है या जो नौकरी के प्रोसेस में हैं, उन पर इस फैसले का कोई असर नही होगा। उच्च न्यायालय ने 2010 के बाद बनाई गई सभी ओबीसी सूचियों को रद्द कर दिया है।
5 लाख ओबीसी प्रमाणपत्र होंगे रद्द
कलकत्ता हाई कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले के परिणामस्वरूप लगभग 5 लाख ओबीसी प्रमाणपत्र रद्द होने जा रहे हैं। पश्चिम बंगाल पिछड़ा वर्ग आयोग अधिनियम 1993 के अनुसार ओबीसी की नई सूची तैयार की जानी है। अंतिम अनुमोदन के लिए सूची विधानसभा को प्रस्तुत की जानी चाहिए। 2010 से पहले ओबीसी श्रेणी के रूप में घोषित समूह वैध रहेंगे।
अदालत ने वेस्ट बंगाल पिछड़ा वर्ग (अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के अलावा) (सेवाओं और पदों में रिक्तियों का आरक्षण) कानून, 2012 के तहत ओबीसी के तौर पर आरक्षण का लाभ प्राप्त करने वाले 37 वर्गों को संबंधित सूची से हटा दिया। अदालत ने इस तरह के वर्गीकरण की सिफारिश करने वाली रिपोर्ट की अवैधता के चलते 77 वर्गों को ओबीसी की सूची से हटाया, अन्य 37 वर्गों को पश्चिम बंगाल पिछड़ा वर्ग आयोग का परामर्श न लेने के कारण हटाया गया।
2012 के एक कार्यकारी आदेश को भी किया रद्द
पीठ ने 11 मई, 2012 के एक कार्यकारी आदेश को भी रद्द कर दिया, जिसमें कई उप-वर्ग बनाए गए थे। न्यायमूर्ति तपब्रत चक्रवर्ती और न्यायमूर्ति राजशेखर मंथा की खंडपीठ ने 211 पेज के अपने आदेश में स्पष्ट किया कि 2010 से पहले ओबीसी के 66 वर्गों को वर्गीकृत करने वाले राज्य सरकार के कार्यकारी आदेशों में हस्तक्षेप नहीं किया गया, क्योंकि इन्हें याचिकाओं में चुनौती नहीं दी गई थी।
अदालत ने आयोग से परामर्श न लेने के आधार पर सितंबर 2010 के एक कार्यकारी आदेश को भी रद्द कर दिया, जिसके जरिए ओबीसी रिजर्वेशन सात प्रतिशत से बढ़ाकर 17 प्रतिशत कर दिया गया था। इसमें ए कैटेगरी के लिए 10 प्रतिशत और बी कैटेगरी के लिए सात प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान था। पीठ ने कहा कि रिजर्वेशन के प्रतिशत में 10 प्रतिशत की बढ़ोतरी वर्ष 2010 के बाद वर्गों को शामिल करने की वजह से हुई।
रिपोर्ट- ओेंकर सरकार