कोलकाता: पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सी. वी. आनंद बोस ने एक बड़ा बयान दिया है। दरअसल, शुक्रवार को उन्होंने दावा किया कि राज्य के विश्वविद्यालय परिसर “मिनी-संदेशखाली” बन गए हैं। इसके साथ ही उन्होंने कथित हिंसा, भ्रष्टाचार और राजनीतिक उद्देश्यों के लिए विश्वविद्यालयों के दुरुपयोग की न्यायिक जांच का आदेश दिया है। राजभवन के एक अधिकारी ने इस बात की जानकारी दी है। बता दें कि हाल ही में पश्चिम बंगाल का संदेशखालि इलाका काफी विवादों में रहा। ऐसे में अब राज्यपाल के इस बयान के बाद सियासत भी तेज होने की संभावनाएं हैं।
एक सदस्यीय आयोग का गठन
अधिकारी ने बताया कि राज्यपाल सी. वी. आनंद बोस राज्य के द्वारा संचालित सभी विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति भी हैं। उन्होंने कहा कि इस मामले को देखने के लिए राज्यपाल बोस सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक सदस्यीय आयोग का गठन करेंगे। अधिकारी ने कहा कि “राज्यपाल ने महसूस किया है कि सभी राज्य संचालित विश्वविद्यालय परिसर मिनी संदेशखालि बन गए हैं। आज, उन्होंने पश्चिम बंगाल में भ्रष्टाचार, हिंसा, चुनाव प्रचार और राजनीतिक उद्देश्यों के लिए विश्वविद्यालय परिसरों के दुरुपयोग की न्यायिक जांच का आदेश दिया।”
क्या है मामला
बता दें कि हाल ही में उत्तर 24 परगना जिले के संदेशखालि में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के स्थानीय नेताओं के खिलाफ महिलाओं के यौन उत्पीड़न और जमीन हड़पने के आरोप लगाए गए थे। राज्यपाल की तरफ से न्यायिक जांच के लिये यह आदेश प्रदेश के शिक्षा मंत्री ब्रत्य बसु द्वारा 30 मार्च को गौर बंगा विश्वविद्यालय में राजनेताओं के साथ बैठक कर चुनाव आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन करने पर उन्हें कैबिनेट से हटाए जाने के लिये राज्य सरकार को निर्देश देने के एक दिन बाद आया है। राज्यपाल ने आरोप लगाया कि संस्थान परिसर में बैठक आयोजित कर बसु ने “विश्वविद्यालय प्रणाली को बदनाम” किया है।
(इनपुट- भाषा)
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