पश्चिम बंगाल के पुरुलिया जिले में पालघर जैसी घटना देखने को मिली है। जिस तरह महाराष्ट्र के पालघर में साधुओं की मॉब लिंचिंग की गई थी। उसी तरह की घटना पुरुलिया में देखने को मिली है। यहां भीड़ ने साधुओं पर हमला कर दिया और साधुओं को निर्वस्त्र कर पीटा। इस मामले पर भाजपा अब बंगाल सरकार और टीएमसी नेतृत्व पर लगातार हमले कर रही है। इस बीच भाजपा सांसद ज्योतिर्मय सिंह महतों ने पीड़ित साधुओं से मुलाकात की है। इस मामले पर अब पुरुलिया जिले की पुलिस का बयान भी सामने आ गया है।
साधुओं की पिटाई मामले पर पुलिस का बयान
पुरुलिया जिला पुलिस ने इस बाबत कहा कि हाल ही में पुरुलिया में घटी घटना को लेकर कुछ लोगों द्वारा गलत सूचना प्रसारित की जा रही है। सच्चाई ये है कि 11 जनवरी 2024 की दोपहर गंगा सागर स्नान करने जा रहे तीन साधुओं और तीन स्थानीय नाबालिग लड़कियों के बीच भाषा की बैरियर होने के कारण विवाद शुरू हो गया। इस दौरान लड़कियां डर गई और स्थानीय लोगों को गलतफहमी हो गई। स्थानीय लोगों ने साधुओं के वाहन को नुकसान पहुंचाया और साधुओं को अगवा करने की कोशिश। मामले में दखल देते हुए स्थानीय पुलिस साधुओं को छुड़ा लिया है। इस मामले में 12 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। साथ ही साधुओं को हर तरह की संभव मदद देने का प्रयास किया जा रहा है।
भाजपा का बंगाल सरकार पर हमला
बता दें कि इंटरनेट पर साधुओं को मारते-पीटते कुछ लोग दिख रहे हैं। इस वीडियो को शेयर करते हुए भाजपा आईटी सेल के प्रमुख और भाजपा नेता अमित मालवीय ने लिखा, 'पश्चिम बंगाल के पुरुलिया से बेहद चौंकाने वाली घटना सामने आई है। पालघर के तर्ज पर की गई लिंचिंग, जहां मकर संक्रांति के लिए गंगासागर जा रहे साधुओं को सत्तारूढ़ टीएमसी से जुड़े अपराधियों ने निर्वस्त्र कर पीटा। ममता बनर्जी के शासन में जहां शाहजहां शेख जैसे आतंकवादी को सरकारी संरक्षण मिलता है और साधुओं की हत्या की जा रही है। पश्चिम बंगाल में हिंदू होना अपराध है।'