कोलकाता: पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने राज्य में त्रि-स्तरीय पंचायत चुनाव में जबरदस्त जीत हासिल की है। तृणमूल की यह जीत कितनी बड़ी है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि बाकी सभी विपक्षी दल मिलकर भी उसके आसपास नहीं हैं। राज्य निर्वाचन आयोग (SEC) द्वारा घोषित परिणामों के मुताबिक, तृणमूल कांग्रेस ने जिला परिषद की कुल 928 सीट में से 880 अपने नाम की और उसकी करीबी प्रतिद्वंद्वी भारतीय जनता पार्टी ने 31 सीटें जीती है। कांग्रेस और वाम गठबंधन ने 15 सीटें जीती और बाकी 2 सीट अन्य उम्मीदवारों ने जीती।
तृणमूल कांग्रेस ने सबको छोड़ा पीछे
SEC के मुताबिक, तृणमूल कांग्रेस ने 63,229 ग्राम पंचायत सीटों में से 35 हजार से ज्यादा सीटों पर जीत दर्ज कर ली है। हालांकि गिनती पूरी होने के बावजूद सटीक आंकड़ों का अभी पता नहीं चल पाया है क्योंकि अभी आंकड़ों के मिलान की प्रकिया जारी है। SEC की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक, बीजेपी ने करीब 10 हजार सीटों पर जीत दर्ज की है, जबकि कांग्रेस और वाम गठबंधन ने करीब 6 हजार सीटें अपने नाम कीं। बता दें कि पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनावों के बाद से ही जबरदस्त हिंसा हुई जिसमें एक दर्जन से ज्यादा लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा।
बीजेपी के लिए यह रही राहत की बात
भारतीय जनता पार्टी के लिए इन चुनावों में राहत की बात यह रही कि उनके नंबर 2 की हैसियत पर कोई आंच नहीं आई। बीजेपी की लिए संतोष की बात यह भी है कि जहां पिछले पंचायत चुनावों में उसके हिस्से लगभग 5800 सीटें आई थीं वहीं इस बार पार्टी ने करीब 10 हजार सीटों पर जीत दर्ज की है। ऐसे में माना जा सकता है कि बीजेपी ने ग्रामीण इलाकों में अपना आधार पिछले पंचायत चुनावों के मुकाबले बढ़ाया है। वहीं, कांग्रेस और लेफ्ट मिलकर भी कुछ खास नहीं कर पाए और बीजेपी से भी काफी पीछे रहे।
अपने मकसद में कामयाब हुई तृणमूल
तृणमूल का मकसद ग्रामीण चुनाव में बड़ी जीत हासिल करना था, जिससे 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले वह अपने अपने वोटरों में विश्वास भर सके। 2019 के लोकसभा चुनाव में तृणमूल को 22 सीटों पर जीत मिली थी, वहीं बीजेपी 18 लोकसभा सीटें जीतने में कामयाब रही थी। इसके बाद तृणमूल ने 2021 के विधानसभा चुनाव में अच्छी वापसी करते हुए 294 सदस्यीय विधानसभा में 215 सीटों पर जीत दर्ज की और बहुमत के साथ सत्ता में आई। बीजेपी के खाते में उन चुनावों में 77 सीटें आईं थीं। अब देखना यह है कि क्या तृणमूल यही मोमेंटम लोकसभा चुनावों तक भी जारी रख पाती है।