कोलकाता: पश्चिम बंगाल में ममता के बेहद करीबी और टीएमसी के प्रभावशाली नेताओं में से एक मानेजानेवाले शुभेंदु अधिकारी के इस्तीफे के बाद पार्टी की मुश्किलें बढ़ गई हैं। ममता बनर्जी ने शुभेंदु अधिकारी के इस्तीफे के बाद उपजे हालात पर मंथन के लिए आज पार्टी की आपात बैठक बुलाई है। शुभेंदु अधिकारी शनिवार को पूर्वी मिदनापुर में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की रैली में भाजपा में शामिल हो सकते हैं। वाम मोर्चा सरकार के खिलाफ नंदीग्राम आंदोलन का चेहरा रहे अधिकारी ने ममता बनर्जी को मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
शुभेंदु अधिकारी ने इस्तीफे की चिट्ठी में लिखा, ‘‘मैं तृणमूल कांग्रेस के सदस्य के रूप में और पार्टी तथा इससे संबंधित संगठनों के सभी पदों से तत्काल प्रभाव से इस्तीफा दे रहा हूं।’’ पार्टी से अपना दो दशक पुराना संबंध खत्म करते हुए दिग्गज नेता ने अपने को दिए गए अवसरों के लिए बनर्जी का धन्यवाद व्यक्त किया और वह पार्टी सदस्य के रूप में गुजारे गए समय की कद्र करेंगे। अधिकारी ने पिछले महीने बनर्जी के नेतृत्व वाले मंत्रिमंडल से तथा कई अन्य पदों से इस्तीफा दे दिया था, लेकिन उन्होंने राजनीतिक स्थितियों को परखते हुए विधानसभा और तृणमूल कांग्रेस की सदस्यता से इस्तीफा देने में विलंब किया।
बुधवार रात उन्होंने आसानसोल नगर निकाय के प्रमुख जितेंद्र तिवारी और वरिष्ठ सांसद सुनील मंडल सहित तृणमूल कांग्रेस के कई असंतुष्ट नेताओं के साथ बंद कमरे में बैठक की। पंदेवेश्वर निर्वाचन क्षेत्र से विधायक तिवारी ने हाल में आरोप लगाया था कि राज्य सरकार ‘‘राजीतिक कारणों’’ से औद्योगिक शहर को केंद्रीय कोष से वंचित कर रही है। उन्होंने बृहस्पतिवार को आसनसोल नगर निगम प्रशासक बोर्ड के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था। बैठक में मौजूद रहे तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दीप्तांग्शु चौधरी ने भी दक्षिण बंगाल राज्य परिवहन निगम के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है। बनर्जी ने कहा कि जो लोग पार्टी की विचारधारा का पालन नहीं करते और जो टिकट मिलने को लेकर चिंतित हैं, केवल वही पार्टी छोड़ रहे हैं। वहीं, भाजपा ने कहा कि यह तृणमूल कांग्रेस के पतन की शुरुआत है।
उधर, अधिकारी के फैसले की प्रशंसा करते हुए भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुकुल रॉय ने कहा कि यह सत्तारूढ़ पार्टी के पतन का आरंभ है और ‘‘हम खुली बांहों से उनका (अधिकारी) स्वागत करेंगे।’’ अधिकारी का पूरा परिवार राजनीति में है। उनके पिता सिसिर अधिकारी और भाई दिब्येंदु अधिकारी लोकसभा के सदस्य हैं। उनके एक और भाई विधायक हैं तथा स्थानीय नगर निकाय का जिम्मा उनके पास है। उनके परिवार का राज्य की 40-45 विधानसभा सीटों पर अच्छा-खासा प्रभाव है।