कोलकाता: तृणमूल कांग्रेस ने शुक्रवार को कहा कि बैरकपुर से विधायक शीलभद्र दत्ता को इस्तीफा देने से पहले अपनी शिकायतों को लेकर पार्टी नेतृत्व से मिलना चाहिए था। पार्टी के नेता और मंत्री फिरहाद हकीम ने कहा कि दत्ता के इस्तीफे से वह सकते में हैं। हकीम ने कहा, ‘वरिष्ठ नेता होने के नाते दत्ता को अपनी शिकायतों को लेकर पहले शीर्ष नेतृत्व से मिलना चाहिए था। जहां तक मुझे पता है, दत्ता को पार्टी के स्थानीय नेताओं के एक समूह से कुछ दिक्कत थी। मौजूदा हालात में सभी संबंध तोड़ने के लिए क्या यह पर्याप्त कारण है?’ शीलभद्र के इस्तीफे को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है।
‘दीदी दत्ता को पसंद करती थीं’
फिरहाद हकीम ने कहा, ‘मैं सिर्फ इतना कह सकता हूं कि दीदी (ममता बनर्जी) दत्ता को पसंद करती थीं और उनका संबंध राजनीति से बढ़कर था। हम सभी जानते हैं कि उनकी (दत्ता) हालत जब गंभीर थी तो उन्होंने (ममता) क्या किया।’ शीलभद्र दत्ता के इस्तीफे पर मंत्री और पार्टी के उत्तरी 24 परगना जिले के अध्यक्ष ज्योतिप्रिय मलिक ने कहा कि तृणमूल कांग्रेस बरगद के पेड़ की तरह है, जिसपर सिर्फ कुछ पत्तों के गिरने से फर्क नहीं पड़ेगा क्योंकि उसकी बंगाल के लोगों के जीवन में गहरी पैठ है। मलिक ने कहा, ‘हमारी नेता ममता बनर्जी हैं और उन्हें हमेशा जनता का समर्थन प्राप्त है।’
‘कोई तृणमूल में नहीं रूकना चाहेगा’
वहीं, भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा कि आत्मसम्मान से भरा हुआ कोई भी नेता अब डूबते हुए जहाज तृणमूल कांग्रेस में नहीं रूकना चाहेगा। उन्होंने कहा, ‘सिर्फ उसकी सुप्रीमो (ममता) और उनका भतीजा (अभिषेक) कुछ मुट्ठी भर समर्थकों के साथ रह जाएंगे।’ घोष ने कहा कि दत्ता और पूर्व मंत्री शुवेंदु अधिकारी सहित तृणमूल का साथ छोड़ने वाले अन्य नेताओं का भाजपा में स्वागत है, वह पार्टी में शामिल हो सकते हैं। बैरकपुर से भारतीय जनता पार्टी के सांसद अर्जुन सिंह ने दत्ता से पार्टी में शामिल होने का अनुरोध करते हुए दावा किया कि ‘शीलभद्र दा को तृणमूल कांग्रेस में काम नहीं करने दिया जा रहा था।’