ओडिशा के सिमलीपाल जंगल से भटक कर पश्चिम बंगाल के बांकुरा जिले में पहुंची बाघिन 'जीनत' को रविवार सुबह बेहोश करने की कोशिश नाकाम रही। अधिकारियों ने बताया कि बाघिन को बेहोश करने के लिए उसे दवा दी गई, लेकिन बार-बार प्रयास करने के बावजूद वह बेहोश नहीं हो पाई। एक अधिकारी ने बताया कि पशु चिकित्सकों की मंजूरी मिलने के बाद उसे पकड़ने का अभियान फिर से शुरू किया जाएगा।
पश्चिम बंगाल के मुख्य वन्यजीव वार्डन, देबल रॉय ने कहा कि बाघिन को बांकुरा जिले के गोपालपुर जंगल में उसी स्थान पर ट्रैप किया गया था, जहां वह शनिवार की रात को देखी गई थी। बाघिन को पकड़ने के लिए दोहरे जाल से उसे घेर दिया गया है और जाल की परिधि को छोटा कर दिया गया है, ताकि उसे काबू किया जा सके।
"बेहोश करना चुनौतीपूर्ण"
रॉय ने बताया, "बाघिन को रविवार तड़के 1:20 बजे बेहोशी की दवा दी गई थी, लेकिन दवा का असर नहीं हुआ। इसके बाद सुबह 4:30 बजे तक दवा देने का अभियान रोकना पड़ा, क्योंकि दवा की अधिकतम सीमा तय होती है। बाघिन अत्यधिक उत्तेजित अवस्था में है, जिससे उसे बेहोश करना चुनौतीपूर्ण हो गया है।" रॉय ने बताया कि 'जीनत' को फिलहाल कुछ आराम दिया गया है। घटनास्थल पर तीन पशु चिकित्सक मौजूद हैं और वे स्थिति का आकलन कर रहे हैं। जैसे ही चिकित्सकों से मंजूरी मिलती है, बाघिन को बेहोश करने के प्रयास फिर से शुरू किए जाएंगे।
बाघिन 'जीनत' के बारे में
बाघिन 'जीनत' को पिछले महीने महाराष्ट्र के ताडोबा-अंधारी बाघ अभ्यारण्य से ओडिशा के सिमलीपाल में भेजा गया था, जहां उसे बाघों की जनसंख्या में नए जीन जोड़ने के उद्देश्य से लाया गया था। हालांकि, वह ओडिशा के सिमलीपाल से भटककर 27 दिसंबर को बंदवान से लगभग 15 किलोमीटर का सफर तय कर मनबाजार ब्लॉक के जंगल में शरण ली थी, जहां वह 24 से 26 दिसंबर के बीच छिपी हुई थी। झारखंड से आने के बाद वह लगभग एक सप्ताह से पश्चिम बंगाल में हैं।
तीन राज्यों के जंगलों में घूम चुकी
वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि सिमलिपाल छोड़ने के बाद नए इलाके की तलाश में बाघिन ने पश्चिम बंगाल, झारखंड और ओडिशा के जंगलों में घूमते हुए 120 किलोमीटर से अधिक की दूरी तय की है। अभी तक उसके सिमिलिपाल बाघ अभ्यारण्य में वापस लौटने के कोई संकेत नहीं दिखाई दिए हैं। अधिकारियों ने बताया कि वह पिछले कुछ दिनों से कम दूरी की यात्रा कर रही हैं। वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि उसकी गतिविधियों पर नजर रखने के लिए ड्रोन लगाए गए हैं, लेकिन घने जंगल के कारण निगरानी प्रभावित हो रही है। (भाषा)
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