पश्चिम बंगाल के झारग्राम जिले में एक दिन पहले पड़ोसी राज्य झारखंड से एक बाघ के घुसने के बाद वन विभाग के अधिकारी सतर्क हो गए हैं। इस बाघ के बारे में जानकारी देते हुए वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि इस बाघ का पता हाल ही में कंकराझोर वन क्षेत्र में लगा है। वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार, यह बाघ एक पूर्ण विकसित नर रॉयल बंगाल टाइगर है, जो पिछले कुछ दिनों से झारखंड के जंगलों में घूम रहा था। इस समय वह कंकराझोर वन क्षेत्र में सक्रिय है और उसकी गतिविधियों पर वन विभाग की टीम नजर रखे हुए है।
मुख्य वन्यजीव वार्डन, देबल रॉय ने बताया, “हम इस बाघ के शांत होने का इंतजार कर रहे हैं, क्योंकि यह लंबे समय से झारखंड के जंगलों में था। इसके पैरों के ताजा निशानों से यह पुष्टि हो गई है कि अब यह कंकराझोर में डेरा डाले हुए है। हम इसे अपनी निगरानी में रखे हुए हैं।”
ओडिशा की बाघिन पहुंची थी बंगाल
यह घटना तब सामने आई जब बांकुड़ा जिले में एक ओडिशा की बाघिन को पकड़ा गया था, जो ओडिशा के सिमिलिपाल बाघ अभयारण्य से भटकते हुए पश्चिम बंगाल पहुंच गई थी। यह बाघिन भी दो सप्ताह पहले बांकुड़ा में पकड़ी गई थी और तब से उसे वन विभाग की टीम द्वारा नियंत्रित किया जा रहा था।
बाघ की गतिविधियों पर नजर
पश्चिम बंगाल के सुंदरबन बाघ अभयारण्य की टीम और झारग्राम के वनकर्मी इस बाघ की गतिविधियों पर नजर बनाए हुए हैं। अधिकारी इस बात पर जोर दे रहे हैं कि बाघ के शांत होने तक उसके पास जाने से बचना चाहिए, ताकि कोई अप्रिय घटना न घटे। वन विभाग द्वारा बाघ की सुरक्षित निगरानी और उसे जंगल में वापस भेजने की प्रक्रिया की तैयारी चल रही है, ताकि बाघ की गतिविधियां नियंत्रित रहें और स्थानीय निवासियों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके। (भाषा इनपुट के साथ)
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