Saturday, December 21, 2024
Advertisement
  1. Hindi News
  2. पश्चिम बंगाल
  3. पश्चिम बंगाल: लगातार 34 साल लेफ्ट और 20 साल कांग्रेस ने किया राज, लेकिन आज एक भी विधायक नहीं

पश्चिम बंगाल: लगातार 34 साल लेफ्ट और 20 साल कांग्रेस ने किया राज, लेकिन आज एक भी विधायक नहीं

आजादी के बाद ऐसा पहली बार हुआ है कि पश्चिम बंगाल विधानसभा में लेफ्ट फ्रंट का एक भी नुमाइंदा नहीं पहुंच पाया है। यह वही फ्रंट है, जिसने तकरीबन साढ़े तीन दशक तक प्रदेश पर राज किया था।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published : May 03, 2021 16:08 IST
The Once-Mighty Left and Congress Completely Routed in Bengal
Image Source : PTI तृणमूल कांग्रेस ने पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में हैट्रिक लगा दी है।

नई दिल्ली: तृणमूल कांग्रेस ने पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में हैट्रिक लगा दी है। वहीं बीजेपी उम्मीद के अनुसार प्रदर्शन नहीं कर पाई जबकि कांग्रेस और लेफ्ट का पत्ता साफ हो गया है। इनका खाता तक नहीं खुला है। बता दें कि आजादी के बाद ऐसा पहली बार हुआ है कि पश्चिम बंगाल विधानसभा में लेफ्ट फ्रंट का एक भी नुमाइंदा नहीं पहुंच पाया है। यह वही फ्रंट है, जिसने तकरीबन साढ़े तीन दशक तक प्रदेश पर राज किया था। पिछले चुनाव में कांग्रेस ने 44 और लेफ्ट फ्रंट ने 26 विधानसभा सीटों पर जीत हासिल की थी। साल 2011 के चुनाव में जब लेफ्ट फ्रंट के लंबे शासनकाल का अंत हुआ था, तब भी कांग्रेस 42 सीटें जीतने में सफल रही थी।

इस बार 2021 में बंगाल की जिन 292 सीटों पर मतगणना हुई, उनमें से 213 सीटें टीएमसी ने जीतीं। बंगाल में अब तक अपनी सियासी जमीन तलाशती रही बीजेपी को 77 सीटों पर जीत मिली। राष्ट्रीय सेक्युलर मजलिस पार्टी से एक और एक निर्दलीय उम्मीदवार भी चुनाव जीत विधानसभा पहुंचने में सफल रहा लेकिन कांग्रेस और वाम दलों का एक भी उम्मीदवार चुनाव नहीं जीत सका।

बता दें कि 1977-2011 तक लगातार लेफ्ट पार्टियों का राज रहा। इस दौरान ज्योति बसू और बुद्धदेव भट्टाचार्य मुख्यमंत्री रहे। वहीं 1947 से 1962 तक कांग्रेस का राज रहा, इसके बाद 1972 से 1977 में भी कांग्रेस का ही राज रहा। अपनी गंवाई हुई जमीन वापस हथियाने के लिए लेफ्ट फ्रंट ने बंगाल में इसबार सब कुछ किया। युवाओं और छात्र नेताओं को टिकट दिया लेकिन, सबके सब भाषणबाजी में ही अव्वल साबित हुए। वोटरों के बीच उनका कोई असर नहीं दिखा।

कांग्रेस भी अपनी नाकामी के लिए ध्रुवीकरण का बहाना ढूंढ़ती नजर आ रही है। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी का कहना है, 'ममता बनर्जी मुसलमानों में डर की भावना पैदा करने में सफल हो गईं। हम लोगों को यह समझाने में नाकाम रहे कि कांग्रेस अकेली ऐसी ताकत है जो बीजेपी और उसकी सांप्रदायिक विचारधारा के खिलाफ लगातार लड़ रही है। सीतलकुची की घटना ने ममता को वोटरों के ध्रुवीकरण में मदद की।' 

तथ्य तो ये है कि पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव 2021 में सभी पार्टियों ने अपने-अपने हिसाब से सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की कोशिश की चाहे वो बीजेपी हो, टीएमसी हो या फिर लेफ्ट फ्रंट और कांग्रेस लेकिन, कामयाबी ममता के हाथ लगी है और लेफ्ट फिलहाल अपने गढ़ में इतिहास बनता दिख रहा है।

ये भी पढ़ें

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। News in Hindi के लिए क्लिक करें पश्चिम बंगाल सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement
detail