Friday, November 22, 2024
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West Bengal Politics: सौरव गांगुली पर गरमाई बंगाल की राजनीति, CM ममता ने की बैटिंग, तो शुभेंदु अधिकारी बोले- आपने समझने में देरी कर दी...

West Bengal Politics: शुभेंदु अधिकारी ने गांगुली को पश्चिम बंगाल के ब्रांड एंबेसडर के रूप में नियुक्त करने और बॉलीवुड मेगास्टार शाहरुख खान की जगह देने की मांग की।

Edited By: Malaika Imam @MalaikaImam1
Published on: October 19, 2022 17:18 IST
West Bengal Politics- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO West Bengal Politics

Highlights

  • मुख्यमंत्री ने सौरव को हटाने को लेकर उठाया सवाल
  • ममता बनर्जी ने पूछा- दूसरा कार्यकाल देने में क्या हर्ज है
  • शुभेंदु ने गांगुली को राज्य का ब्रांड एंबेसडर बनाने की मांग की

West Bengal Politics: सौरव गांगुली का बीसीसीआई (BCCI) अध्यक्ष पद से हटना राजनीतिक विवाद का विषय बन गया है। मामले ने पश्चिम बंगाल में इतना राजनीतिक मोड़ ले लिया है कि राज्य में सत्ताधारी और विपक्षी दलों के सबसे प्रमुख चेहरों यानी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी व विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने अपने-अपने राजनीतिक दल की ओर से मोर्चा संभाल लिया।

BCCI के अध्यक्ष की कुर्सी से सौरव को हटाने पर सवाल

शुरुआत ममता बनर्जी ने की, जब उन्होंने भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) के अध्यक्ष की कुर्सी से सौरव गांगुली को हटाने को लेकर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि जब केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बेटे जय शाह बीसीसीआई सचिव के रूप में बने रह सकते हैं, तो भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान को बोर्ड के अध्यक्ष के रूप में दूसरा कार्यकाल देने में क्या हर्ज है। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात करेंगी, ताकि गांगुली अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (ICC) के अध्यक्ष के लिए लिए भारत का प्रतिनिधित्व कर सकें।

'गांगुली बंगाल का गौरव हैं, इसे समझने में CM ने देरी कर दी'

17 अक्टूबर को मुख्यमंत्री के बयान के कुछ घंटों बाद शुभेंदु अधिकारी ने अपनी प्रतिक्रिया में गांगुली को पश्चिम बंगाल के ब्रांड एंबेसडर के रूप में नियुक्त करने और बॉलीवुड मेगास्टार शाहरुख खान की जगह देने की मांग की। विपक्ष के नेता ने यह भी कहा कि गांगुली पश्चिम बंगाल का गौरव हैं, इसे समझने में मुख्यमंत्री ने देरी कर दी, नहीं तो वह वह उन्हें बहुत पहले राज्य का ब्रांड एंबेसडर बना देतीं।

हालांकि, माकपा इस मुद्दे पर राजनीतिक विवाद से दूरी बनाए रखने की कोशिश कर रही है। माकपा के वरिष्ठ नेता और पश्चिम बंगाल में वाम मोर्चा शासन के दौरान नगरपालिका मामलों और शहरी विकास मंत्री रहे अशोक भट्टाचार्य, जिनके साथ सौरव गांगुली के आत्मीय संबंध है, ने कहा कि तृणमूल कांग्रेस (TMC) और बीजेपी, दोनों को भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान को राजनीतिक मोहरा बनाने की कोशिश से दूर रहना चाहिए। 

अशोक भट्टाचार्य ने कहा, "मैं बीजेपी और टीएमसी दोनों से अनुरोध करता हूं कि वे सौरव गांगुली को इस तरह से घसीटना बंद करें। वह राजनीति से परे हैं। हालांकि, मैं मानता हूं कि सौरव आईसीसी में प्रतिनिधित्व करने के लिए सबसे योग्य व्यक्ति हैं और मुझे उन्हें वहां अध्यक्ष के रूप में देखकर बेहद खुशी होगी।"

क्या गांगुली खुद ही सियासी कीचड़ उछालने का खिलौना बन गए हैं? 

अब इस राजनीतिक रस्साकशी के बीच यह सवाल पूछा जा रहा है कि राजनीति में सीधे शामिल हुए बिना पार्टी लाइन से परे सभी राजनीतिक दलों के साथ एक अच्छा संतुलन बनाए रखने वाले गांगुली क्या खुद ही सियासी कीचड़ उछालने का खिलौना बन गए हैं। राजनीतिक पर्यवेक्षकों को लगता है कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि पश्चिम बंगाल में, जहां हर मुद्दे पर राजनीतिक लाभ लेने की प्रवृत्ति है, यहां तक कि खेल और खिलाड़ियों को भी नहीं बख्शा गया है। एक अनुभवी राजनीतिक विश्लेषक ने कहा कि यह पहली बार नहीं है, जब क्रिकेट और सौरव गांगुली को राज्य की राजनीति में घसीटा गया है।

2006 में CAB के अध्यक्ष के चुनाव में एक कड़वी राजनीतिक लड़ाई देखी गई

जुलाई 2006 में पश्चिम बंगाल में क्रिकेट ने पहली बार बंगाल क्रिकेट संघ (CAB) के अध्यक्ष के चुनाव में एक कड़वी राजनीतिक लड़ाई देखी गई, जब वरिष्ठ क्रिकेट प्रशासक और बीसीसीआई के पूर्व अध्यक्ष स्वर्गीय जगमोहन डालमिया के खिलाफ तत्कालीन कोलकाता पुलिस आयुक्त प्रसून मुखर्जी को खड़ा किया गया था। उन्हें उस समय के राज्य के मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य का खुला समर्थन प्राप्त था।

इसके लिए बुद्धदेव भट्टाचार्य को न केवल तत्कालीन विपक्षी पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने आलोचना मिली, बल्कि अपनी ही पार्टी (CPI-M) के अनेक वर्गो ने भी आलोचना की। यहां तक कि राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और भारतीय मार्क्‍सवाद के पितामह स्वर्गीय ज्योति बसु ने भी प्रसून मुखर्जी के नामांकन का विरोध किया था। तृणमूल कांग्रेस ने सीधे तौर पर बुद्धदेव भट्टाचार्य पर तत्कालीन शहर पुलिस आयुक्त का इस्तेमाल कर बंगाल क्रिकेट संघ यानी कैब पर कब्जा करने की कोशश करने का आरोप लगाया था।

2007 में फिर से जब गांगुली को राष्ट्रीय एकदिवसीय टीम से हटा दिया गया, तो बंगाल के राजनेताओं के एक बड़े वर्ग ने कहा कि बंगाली होने के कारण गांगुली के खिलाफ साजिश की गई। मामले को लेकर हुए विरोध प्रदर्शन में बंगाली सिनेमा जगत के कई लोकप्रिय अभिनेता शामिल हुए थे।

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