पश्चिम बंगाल के शिक्षा मंत्री ब्रत्य बसु ने राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट) को खत्म करने की मांग करते हुए शनिवार को कहा कि राज्यों को मेडिकल पाठ्यक्रमों के लिए अपनी प्रवेश परीक्षा आयोजित करने की अनुमति दी जानी चाहिए जैसा कि पहले होता था। ‘एसोसिएशन ऑफ प्रोफेशनल एकेडमिक इंस्टीट्यूशंस’ द्वारा आयोजित प्री-काउंसलिंग कार्यक्रम के मौके पर पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि नीट में अनियमितताओं ने 23 लाख छात्रों के भविष्य को अनिश्चितता में डाल दिया है।
बसु ने कहा कि पश्चिम बंगाल सरकार इस बारे में केंद्र को पत्र लिख चुकी है, लेकिन अभी तक कोई जवाब नहीं मिला है। उन्होंने दावा किया, ‘‘शैक्षणिक वर्ष 2016-17 से पहले मेडिकल प्रवेश परीक्षाएं पश्चिम बंगाल संयुक्त प्रवेश परीक्षा बोर्ड द्वारा पारदर्शी तरीके से आयोजित की जाती थीं और इस पर कोई विवाद नहीं होता था।’’ बसु ने आरोप लगाया कि केंद्र का रवैया देश के संघीय ढांचे के खिलाफ है।
राज्यों को नजरअंदाज नहीं कर सकते
ब्रत्य बसु ने कहा, ‘‘लोकतंत्र में आप राज्य सरकारों की राय को नजरअंदाज नहीं कर सकते, आप उन राज्यों को नजरअंदाज नहीं कर सकते जहां सत्ता में गैर-भाजपा दल हैं।’’ पश्चिम बंगाल के मंत्री ने कहा कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (यूजीसी-नेट) को लेकर केंद्र सरकार की लापरवाही ने उच्च शिक्षण संस्थानों में प्राध्यापक की नौकरी के इच्छुक लाखों उम्मीदवारों के करियर को खतरे में डाल दिया है। कॉलेजों में लंबित छात्र संघ चुनावों के बारे में उन्होंने कहा, ‘‘हम इसे लेकर सकारात्मक हैं। दुर्गा पूजा के बाद यह प्रक्रिया शुरू हो जाएगी।’’
ममता ने लिखा था पत्र
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खत लिखकर NEET परीक्षा खत्म करने की मांग की थी। उन्होंने कहा था कि हर राज्य को अपनी परीक्षा कराने का अधिकार होना चाहिए। उन्होंने दृढ़तापूर्वक आग्रह किया था कि पीएम मोदी प्रवेश परीक्षा को राज्य सरकारों द्वारा आयोजित करने की पिछली प्रणाली को बहाल करें और NEET परीक्षा को समाप्त करने के लिए तत्काल कदम उठाने पर विचार करें। इससे सामान्य स्थिति बहाल करने और इच्छुक छात्रों का सिस्टम में विश्वास बहाल करने में मदद मिलेगी। (इनपुट- पीटीआई भाषा)