पश्चिम बंगाल में 2010 से कई जातियों को दिए गए अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) दर्जे को रद्द करने के कलकत्ता हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई 28 और 29 जनवरी तक स्थगित कर दी। न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने इस मामले पर विस्तृत सुनवाई की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए यह फैसला लिया। शीर्ष अदालत ने पहले कहा था कि धर्म के आधार पर आरक्षण नहीं दिया जा सकता।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत को सूचित किया कि राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (NCBC) ने इस मामले में अपना हलफनामा दायर किया है, जो अदालत के विचारार्थ है। पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने पैरवी की।
हाई कोर्ट का फैसला
इससे पहले कलकत्ता हाई कोर्ट ने 22 मई, 2023 को पश्चिम बंगाल में 2010 से कई जातियों को दिए गए ओबीसी का दर्जा रद्द कर दिया था। अदालत ने स्पष्ट किया था कि इन जातियों को ओबीसी का दर्जा देने में धर्म ही एकमात्र मानदंड प्रतीत होता है। हाई कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि हटाए गए वर्गों के नागरिक जो पहले से ही सेवा में हैं या आरक्षण का लाभ ले चुके हैं, या राज्य की किसी भी चयन प्रक्रिया में सफल हुए हैं, उनकी सेवाएं इस फैसले से प्रभावित नहीं होंगी।
कुल मिलाकर हाई कोर्ट ने अप्रैल, 2010 और सितंबर, 2010 के बीच दिए गए 77 वर्गों के आरक्षण को रद्द कर दिया था। हाई कोर्ट ने यह भी कहा था कि ओबीसी दर्जे का निर्धारण केवल आर्थिक और सामाजिक पिछड़ेपन के आधार पर होना चाहिए, न कि धर्म के आधार पर। (भाषा इनपुट)
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