Friday, September 06, 2024
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बंगाल में शहीद दिवस रैली कल, सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव होंगे मौजूद; जानें और कौन हो रहा शामिल

समाजवादी पार्टी के प्रमुख और सांसद अखिलेश यादव रविवार को ममता बनर्जी के साथ कोलकाता में टीएमसी की धर्मतला रैली में भाग लेंगे। इस जानकारी को अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस के नेता कुणाल घोष ने एक्स के माध्यम से साझा किया।

Edited By: Akash Mishra @Akash25100607
Updated on: July 20, 2024 18:52 IST
कल TMC की धर्मतला रैली में शामिल होंगे अखिलेश यादव- India TV Hindi
Image Source : PTI(FILE) कल TMC की धर्मतला रैली में शामिल होंगे अखिलेश यादव

समाजवादी पार्टी के चीफ और सांसद अखिलेश  यादव कल यानी 21 जुलाई को पश्चिम बंगाल में सीएम ममता बनर्जी के साथ टीएमसी की धर्मतला रैली में भाग लेंगे। इस बात की जानकारी अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस के नेता कुणाल घोष ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स के जरिए दी। कुणाल घोष ने एक्स के माध्यम से घोषणा की, "समाजवादी पार्टी के प्रमुख और सांसद अखिलेश यादव कल 21 जून को कोलकाता में टीएमसी की धर्मतला रैली में शामिल होंगे।"

हर साल ‘शहीद दिवस’ कार्यक्रम का आयोजन करती है TMC

तृणमूल कांग्रेस हर साल ‘शहीद दिवस’ कार्यक्रम का आयोजन करती है, जिसमें 21 जुलाई 1993 को ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली पश्चिम बंगाल युवा कांग्रेस द्वारा आयोजित प्रदर्शन के दौरान मारे गए 13 लोगों को श्रद्धांजलि दी जाती है। दोनों नेता कोलकाता के नेताजी सुभाष चंद्र बोस अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर पहुंचेंगे और सीधे मध्य कोलकाता के एस्प्लेनेड स्थित रैली स्थल के लिए रवाना होंगे।

अखिलेश के अलावा कौन हो रहा शामिल

अखिलेश यादव के अलावा, समाजवादी पार्टी के पूर्व नेता और पूर्व राज्यसभा सदस्य किरणमय नंदा भी रैली में शामिल होंगे। नंदा, जो पिछली वाम मोर्चा सरकार में मत्स्य पालन मंत्री थे, ने अपने कार्यकाल के दौरान पश्चिम बंगाल में सीपीआई (एम) के नेतृत्व वाले वाम मोर्चे के साथ समझौता किया था।

सीएम ममत बनर्जी ने समझाया इस दिन का महत्व 

ममता बनर्जी ने शनिवार को अपने आधिकारिक एक्स अकाउंट पर एक बयान जारी कर 21 जुलाई, 1993 के महत्व को समझाया। उन्होंने पोस्ट में लिखा, "21 जुलाई बंगाल के इतिहास में रक्तरंजित दिन है। 1993 में इसी दिन माकपा के दमनकारी शासन द्वारा 13 लोगों की बेरहमी से जान ले ली गई थी। इस दिन दमन के खिलाफ अपनी लड़ाई में मैंने अपने 13 साथियों को खो दिया था। इसलिए 21 जुलाई हमारे लिए एक भावनात्मक मील का पत्थर है। 21 जुलाई आज बंगाल की सार्वजनिक संस्कृति का एक अभिन्न अंग है।"

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