कोलकाता: पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी की राजनितिक लड़ाई जग जाहिर है। दोनों दल एक-दूसरे को हर समय मात देने की फिराक में रहते हैं। एक भी पार्टी एक इंच पीछे हटने का नाम नहीं लेती है। चुनावों के समय तो यह अदावत खूनी हो जाती है। दोनों दलों के कार्यकर्ताओं की हत्याएं होती हैं। ऐसा लगने लगता है कि यहां कानून की नहीं बल्कि हिंसावादियों की सरकार हो। कोर्ट में मामले चलते रहते हैं। राजनीतिक जंग में एक कदम आगे बढ़ने के लिए अब ताजा मामला विक्टोरिया हाउस के सामने बीजेपी की सभा को लेकर था।
बीजेपी ने कलकत्ता हाई कोर्ट में दाखिल की थी याचिका
राज्य सरकार ने बीजेपी की इस सभा की अनुमति देने से इनकार कर दिया। इसके बाद बीजेपी ने कलकत्ता हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की। बीजेपी की इस याचिका पर सिंगल जज की बेंच ने सुनावी की और सभा को मंजूरी दे दी। इसके बाद सरकार ने उच्च बेंच के सामने याचिका दाखिल की। इस मामले में आज सुनवाई हुई। हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश टीएस सिवागनानम और जस्टिस हिरण्मय भट्टाचार्य की डिविजन बेंच ने सिंगल बेंच के आदेश को बरकरार रखते हुए पश्चिम बंगाल सरकार की याचिका खारिज कर दी। इस पीठ में सुनवाई के दौरान कोर्ट ने सरकार से इस सभा की इजाजत ना देने का कारण पूछा।
एडवाइजरी के अनुसार किया गया था आवेदन- कोर्ट
इस दौरान राज्य सरकारके वकील ने बताया कि विक्टोरिया हाउस कोलकाता शहर का केंद्र है। यहां सभा होगी तो शहर ठप्प हो जाएगा। उन्होंने बताया कि 21 जुलाई को छोड़कर वहां कोई बैठक नहीं होती है। इस पर कोर्ट ने पूछा कि 21 जुलाई को ऐसा क्या ख़ास होता है कि इस दिन को छोड़कर वहां कोई सभा नहीं हो सकती। इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि एडवाइजरी कहती है कि कार्यक्रम से 2-3 हफ्ते पहले सूचित किया जाना चाहिए लेकिन यहां आवेदन 23 दिन पहले दिया गया था।
सरकार बेवजह कड़ी कर रही समस्या- कोर्ट
सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस की बेंच ने कहा कि इस मामले को लेकर बेवजह समस्या खड़ी की जा रही है। कोलकाता में कई ऐसी सभाएं और रैलियां हुई हैं, जिनकी इजाजत नहीं थी। इन रैलियों की वजह से शहर की ट्रैफिक व्यवस्था चरमरा गई थी और पुलिस भी उसे नियंत्रित नहीं कर पाई थी। इसी के साथ कोर्ट ने ममता सरकार की याचिका को खारिज कर दिया और बीजेपी की 29 नवम्बर को होने वाली सभा को इजाजत दे दी। वहीं कोर्ट के इस फैसले को बीजेपी ने ममता सरकार के मुंह पर तमाचा बताया है।