कोलकाता: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने शनिवार को आरोप लगाया कि कोविड-19 महामारी और प्रवासी श्रमिकों के संकट से निपटने में पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार पूरी तरह से विफल रही है। उन्होंने कहा कि तृणमूल कांग्रेस को राज्य में अगले विधानसभा चुनाव में इसके लिए ‘‘भारी कीमत चुकाने’’ के लिए तैयार रहना होगा और कोई ‘‘पीआर एजेंसी’’ या चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर इस पार्टी को नहीं बचा पायेंगे।
विजयवर्गीय ने कांग्रेस की इस आलोचना को भी खारिज कर दिया कि कोरोना वायरस से निपटने के लिए लगाये गये लॉकडाउन की योजना खराब थी। उन्होंने आरोप लगाया कि यह पार्टी ‘‘राजनीतिक रूप से दिवालिया’’ हो चुकी है और ‘‘टीएमसी जैसे भ्रष्ट क्षेत्रीय दलों’’ की ओर देख रही हैं। विजयवर्गीय ने मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश जैसे भाजपा शासित राज्यों में श्रम कानूनों में बदलाव के मुद्दे पर कहा कि यदि भारत को चीन की तरह विनिर्माण के क्षेत्र में अग्रणी बनाना है तो मजदूरों के हित को ध्यान में रखते हुए परिवर्तन आवश्यक है।
उन्होंने कोरोना वायरस संकट से प्रभावी ढंग से निपटने में ‘‘विफल’’ रहने पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के इस्तीफे की मांग की। उन्होंने उन आरोपों को खारिज किया कि भगवा पार्टी बंगाल सरकार को राजनीतिक कारणों से निशाना बना रही है। विजयवर्गीय ने आरोप लगाया कि तृणमूल कांग्रेस इस मुद्दे पर राजनीति कर रही है। उन्होंने कहा, ‘‘हम संकट के समय राजनीति करने में विश्वास नहीं करते हैं। लेकिन बंगाल में संकट से निपटने के नाम पर ममता बनर्जी जो कर रही हैं, वह निंदनीय है।’’
उन्होंनें कहा, ‘‘वे मरीजों का इलाज करने के बजाय आंकड़ों को छिपाने में अधिक रूचि ले रहे हैं। अब, जब उनके झूठ का पर्दाफाश हो गया तो वह (बनर्जी) नौकरशाहों को हटा रही है। उन्हें मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री के पदों से इस्तीफा दे देना चाहिए।’’ भाजपा नेता ने तृणमूल कांग्रेस की सरकार पर पश्चिम बंगाल को दी जा रही केन्द्रीय मदद को अवरुद्ध करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि बनर्जी अगले विधानसभा चुनावों को देखते हुए ‘‘ओछी राजनीति’’ कर रही है।
उन्होंने कहा, ‘‘उन्हें (बनर्जी) डर है कि यदि मोदी सरकार नुकसान को रोकने में सफल हो जाती है तो भगवा पार्टी 2021 के विधानसभा चुनावों में एक लाभप्रद स्थिति में होगी।’’ विजयवर्गीय ने कहा, ‘‘वह प्रशांत किशोर या किसी अन्य पीआर एजेंसी की मदद ले सकती है लेकिन वे उनकी सरकार को नहीं बचा पायेंगे।’’ उन्होंने कहा, ‘‘कोविड-19 और प्रवासी श्रमिकों के संकट से निपटने में विफल रहने के लिए तृणमूल कांग्रेस को पश्चिम बंगाल में 2021 के विधानसभा चुनाव में भारी कीमत चुकानी होगी।’’
सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) में अनियमितताओं के आरोप पर उन्होंने कहा कि राज्य सरकार अपने स्वयं के ‘‘राजनीतिक हितों’’ को पूरा करने के लिए केंद्रीय सहायता को अवरुद्ध करके राज्य के गरीब लोगों को ‘‘भूखा रखना’’ पसंद करती है। जब उनसे लॉकडाउन के कारण प्रवासी श्रमिकों की परेशानियों के लिए हो रही आलोचना के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि महामारी को रोकने के लिए सही समय पर निर्णय लिया गया और लॉकडाउन की घोषणा के दो या तीन दिन बाद भी, लाखों प्रवासी श्रमिकों को उनके राज्यों में भेजना संभव नहीं हो पाता।
उन्होंने कहा कि महामारी से निपटने के लिए भारत के प्रयासों की अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने प्रशंसा की है और इसका एक कारण समय पर लॉकडाउन की घोषणा करना भी शामिल था। जब उनसे पूछा गया कि कांग्रेस का आरोप है कि लॉकडाउन को ‘‘खराब ढंग से लागू किया गया’’, इस पर भाजपा नेता ने कहा, ‘‘कांग्रेस अब अपनी राजनीतिक विश्वसनीयता और आधार खो चुकी है और वह अपनी दुकान चलाने के लिए अब क्षेत्रीय पार्टियों पर निर्भर है।’’
उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस से निपटने के लिए लगाया गया राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा ‘‘उचित समय’’ पर उठाया गया ‘‘बेहतर निर्णय’’ था। पश्चिम बंगाल के हुगली जिले में हाल में सांप्रदायिक हिंसा पर उन्होंने कहा कि दंगों से न केवल यह पता चलता है कि ‘‘बंगाल में अराजकता वाली स्थिति’’ है बल्कि ‘‘संकट के समय में राज्य सरकार की अल्पसंख्यक तुष्टिकरण’’ की नीति भी उजागर होती है।