कोलकाता: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने 30 सितंबर को होने वाले भवानीपुर विधानसभा उपचुनाव के लिए अपना नामांकन पत्र दाखिल कर दिया। उनका मुख्यमंत्री पद पर बने रहने के लिए इस सीट से जीत दर्ज करना अनिवार्य है। तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी की प्रियंका टिबरीवाल और वाम मोर्चे के श्रीजीब बिस्वास को चुनौती देंगी। कांग्रेस ने बनर्जी के खिलाफ उम्मीदवार खड़ा न करने का फैसला किया है। जंगीपुर और शमशेरगंज के साथ ही भवानीपुर के लिए मतगणना तीन अक्टूबर को की जाएगी और चुनाव नतीजे की घोषणा उसी दिन की जाएगी। बनर्जी अपना नामांकन पत्र दाखिल करने के लिए अलीपुर में स्थित सर्वे बिल्डिंग में राज्य के कैबिनेट मंत्री फिरहाद हाकिम की पत्नी के साथ पहुंची थीं। बाद में उन्हें अपनी कार में बैठने से पहले हाथ जोड़कर लोगों का अभिवादन करते हुए देखा गया।
हाकिम ने पत्रकारों से कहा, ‘‘भवानीपुर के लोग रिकॉर्ड अंतर से ममता बनर्जी की जीत सुनिश्चित करके फिर से इतिहास लिखने का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। वे नंदीग्राम में ममता दी को हराने के लिए रची गयी साजिश का बदला लेने का इंतजार कर रहे हैं।’’ टीएमसी समर्थकों ने ‘‘भवानीपुर को अपनी बेटी चाहिए’’ और ‘‘भवानीपुर में खेला होगा’’ जैसे नारों के साथ अपनी नेता का पुरजोर समर्थन किया। एक अन्य टीएमसी कार्यकर्ता ने कहा, ‘‘हमारे लिए चुनौती जीत हासिल करना नहीं है क्योंकि हम इसे लेकर आश्वस्त हैं। हमारे लिए चुनौती यह सुनिश्चित करना है कि दीदी रिकॉर्ड अंतर से जीत दर्ज करें।’’
बनर्जी भवानीपुर की निवासी हैं और उन्होंने 2011 तथा 2016 में दो बार इस सीट से जीत दर्ज की। वह इस साल अप्रैल-मई में हुए विधानसभा चुनाव में नंदीग्राम सीट से भाजपा नेता और पूर्व सहयोगी शुभेंदु अधिकारी के खिलाफ चुनाव लड़ीं और हार गयीं। हालांकि, बनर्जी लगातार तीसरी बार टीएमसी की सरकार बनाने में कामयाब रही। बनर्जी को मुख्यमंत्री पद पर बने रहने के लिए भवानीपुर में जीत दर्ज करनी होगी। उन्हें मुख्यमंत्री पद पर बने रहने के लिए संवैधानिक प्रावधानों का पालन करते हुए पांच नवंबर तक राज्य विधानसभा में एक सीट जीतने की आवश्यकता है।
संविधान किसी भी विधानसभा या संसद के गैर सदस्य को केवल छह महीने तक निर्वाचित हुए बिना मंत्री पद पर बने रहने की अनुमति देता है। नंदीग्राम में शिकस्त के बाद भवानीपुर से टीएमसी विधायक सोभनदेब चट्टोपाध्याय ने मुख्यमंत्री के लिए अपनी सीट छोड़ दी थी। बनर्जी के नामांकन पर प्रतिक्रिया देते हुए भाजपा की पश्चिम बंगाल इकाई के अध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा कि उनका हश्र वैसा ही होगा जैसा नंदीग्राम में हुआ था।
उन्होंने कहा, ‘‘भाजपा ने उन्हें नंदीग्राम में हराया था। उन्हें भवानीपुर में फिर हराया जाएगा। निर्वाचन क्षेत्र के लोग विधानसभा चुनाव के बाद उनकी पार्टी द्वारा किए गए अत्याचार और हिंसा के लिए उन्हें मुंहतोड़ जवाब देंगे।’’ बनर्जी ने 2011 में वाम मोर्चे की 34 साल तक चली सरकार को सत्ता से बेदखल करते हुए टीएमसी की सरकार बनायी थी। इसके कुछ महीनों बाद बनर्जी भवानीपुर से उपचुनाव में जीत दर्ज पहली बार विधानसभा में निर्वाचित हुई। उन्होंने छह बार दक्षिण कोलकाता लोकसभा सीट का भी प्रतिनिधित्व किया है। भवानीपुर इसी क्षेत्र के तहत आता है।
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