पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गुरुवार को केंद्र सरकार की ओर से पेश किए गए वक्फ (संशोधन) विधेयक को धर्मनिरपेक्षता विरोधी करार दिया। उन्होंने कहा कि इससे मुसलमानों के अधिकार छिन जाएंगे। विधानसभा में दिए गए अपने बयान में ममता बनर्जी ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार ने इस मामले पर राज्यों से परामर्श किए बिना यह विधेयक पेश किया है, जो कि संघीय ढांचे के खिलाफ और धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों के विपरीत है।
मुख्यमंत्री ने कहा, "यह विधेयक एक खास वर्ग को बदनाम करने का जानबूझकर प्रयास है। इससे मुसलमानों के धार्मिक और सामाजिक अधिकारों पर हमला होगा। केंद्र ने हमसे इस पर कोई परामर्श नहीं किया। अगर किसी धर्म पर हमला हुआ तो मैं पूरी तरह से इसका विरोध करूंगी और निंदा करूंगी।"
विधेयक के विरोध में विपक्षी दल
विपक्षी दलों ने भी इस विधेयक की कड़ी आलोचना की है। उनका कहना है कि वक्फ अधिनियम में किए गए संशोधन मुसलमानों के धार्मिक अधिकारों का उल्लंघन करते हैं और इसे धर्मनिरपेक्षता के खिलाफ माना जा रहा है। दूसरी ओर सत्तारूढ़ बीजेपी ने इस विधेयक का समर्थन करते हुए कहा है कि इसके माध्यम से वक्फ बोर्ड के कामकाज में पारदर्शिता लाई जाएगी और वक्फ संपत्तियों के बेहतर संचालन के लिए जवाबदेही सुनिश्चित होगी। विवादास्पद वक्फ विधेयक की जांच के लिए केंद्र सरकार ने एक संसदीय समिति गठित की है।
क्या है ये विधेयक?वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 में पेश किया गया एक विधायी प्रस्ताव है, जिसका उद्देश्य वक्फ बोर्ड के कार्यों में सुधार और पारदर्शिता लाना है। वक्फ बोर्ड, जो कि भारतीय मुस्लिम समुदाय की धार्मिक संपत्तियों का प्रबंधन करता है। इस विधेयक के जरिए कुछ संशोधन प्रस्तावित किए गए हैं।
लोकसभा ने गुरुवार को वक्फ (संशोधन) विधेयक पर विचार कर रही संसद की संयुक्त समिति का कार्यकाल अगले साल बजट सत्र के आखिरी दिन तक के लिए बढ़ाने को मंजूरी दे दी। समिति के अध्यक्ष जगदम्बिका पाल ने वक्फ (संशोधन) विधेयक संबंधी संसद की संयुक्त समिति का प्रतिवेदन प्रस्तुत करने का समय बजट सत्र, 2025 के आखिरी दिन तक बढ़ाने का प्रस्ताव सदन में पेश किया, जिसे ध्वनिमत से स्वीकृति प्रदान की गई। (भाषा इनपुट)
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