पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बाघों के रखरखाव को लेकर ओडिशा सरकार पर नाराजगी जाहिर की है। उन्होंने कहा कि ओडिशा सरकार को यह ध्यान रखना चाहिए कि उनके वन क्षेत्र के बाघ दूसरे राज्यों में न जाएं। ममता ने यह भी कहा कि ओडिशा सरकार को अपने वन विभाग की टीम भेजनी चाहिए, जो पश्चिम बंगाल आकर बाघ को पकड़ कर ले जाए।
कुछ दिन पहले ही जीनत नाम की एक बाघिन ओडिशा से पश्चिम बंगाल पहुंच गई थी। इस बाघिन से वन्य क्षेत्र से बाहर 100 किलोमीटर से ज्यादा का सफर तय किया। पश्चिम बंगाल वन विभाग की टीम ने कड़ी मशक्कत के बाद बाघिन को पकड़ा और ओडिशा वापस भेज दिया। हालांकि, घटना के कुछ दिन बाद ही एक और बाघ ओडिशा से पश्चिम बंगाल आ गया। इसके बाद ममता बनर्जी ने नाराजगी जाहिर की है।
ममता ने क्या कहा?
ममता बनर्जी ने कहा "एक बाघ पांच जिला क्रॉस करके यहां (बांकुड़ा) पर पहुंच गया था। दिन रात मेहनत के बाद बाघ को हमने पकड़ा। जैसे ही पकड़ा, उनका फोन आना शुरू हो गया, बाघ वापस करो और हमने दे दिया। कल फिर एक बाघ आ गया! आपको आपके जंगलों के बाघों की रखवाली करना है, ताकि वो हमारे यहां न आएं। मैं मुख्य सचिव को कहूंगी कि आप ओडिशा सरकार को कहिए कि वह आकर यहां से बाघ को कैद करके लेकर जाएं। आतंक हम भुगतेंगे? यहां जिस प्रकार इस बाघ को पकड़ गया। वह एक मॉडल था। बाघ को कोई चोट नहीं पहुंची, लेकिन फिर से एक बाघ को भेज दिया! यह क्या हो रहा है? भेजना है तो स्थाई तौर पर भेजें, हमारे पास जंगल हैं, टाइगर रेस्क्यू सेंटर हैं, हम रख लेंगे। आप के पास रखने की जगह नहीं है। आपने बाघ को ले जाकर पानी में छोड़ दिया। नदी पार करने में बाघ को कितना समय लगेगा? ऐसे में फिर एक बाघ यहां आ गया। मैं ओडिशा सरकार को दोष नहीं दे रही। मैं अनुरोध करना चाहती हूं कि आप अपनी टीम भेजिए और बाघ को पकड़ कर ले जाइए।"
तीन राज्यों में घूमी बाघिन 'जीनत'
बाघिन 'जीनत' को पिछले महीने महाराष्ट्र के ताडोबा-अंधारी बाघ अभ्यारण्य से ओडिशा के सिमलीपाल में भेजा गया था, ताकि बाघों की जनसंख्या में नए जीन जोड़े जा सकें। हालांकि, वह ओडिशा के सिमलीपाल से भटककर 27 दिसंबर को बंदवान से लगभग 15 किलोमीटर का सफर तय कर मनबाजार ब्लॉक के जंगल में पहुंच गई थी। यहां वह 24 से 26 दिसंबर के बीच छिपी रही। झारखंड से आने के बाद वह लगभग एक सप्ताह तक पश्चिम बंगाल में रही। इसके बाद उसे पकड़ा गया। बाघिन को पकड़ने वाले अधिकारियों ने बताया था कि वह काफी उत्तेजित थी। इस वजह से उस पर बेहोशी की दवाई का असर नहीं हो रहा था और वन विभाग के अधिकारियों के काम में परेशानी आ रही थी।