कोलकाता: पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस के द्वारा आज शहीद दिवस रैली का आयोजन किया गया है। इस रैली में प्रदेश के विभिन्न हिस्सों से लाखों लोग पहुंचे। बता दें कि इस रैली को लोकसभा चुनावों के बाद पार्टी का पहला शक्ति प्रदर्शन भी माना जा रहा है। वहीं इस रैली में अखिलेश यादव के पहुंचने से इसे और अधिक राजनीतिक माना जा रहा है। रैली के दौरान ममता बनर्जी और अखिलेश यादव ने केंद्र की एनडीए सरकार पर जमकर निशाना साधा। इसके साथ ही उन्होंने बीजेपी को भी आड़े-हाथों लिया। रैली के दौरान ममता बनर्जी और अखिलेश यादव एक साथ दिखे।
लंबे समय तक नहीं टिकेगी केंद्र की सरकार
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने रैली से पहले दक्षिण कोलकाता के कालीघाट स्थित ममता बनर्जी के आवास पर उनसे मुलाकात भी की। इसके बाद अखिलेश यादव मध्य कोलकाता के एस्प्लेनेड क्षेत्र में आयोजित तृणमूल कांग्रेस की 'शहीद दिवस' रैली में भी शामिल हुए। रैली को संबोधित करते हुए अखिलेश यादव ने कहा कि भारत को सांप्रदायिक आधार पर बांटने की साजिश रचने वाली ताकतों को अस्थायी सफलता मिल सकती है, लेकिन अंततः उनकी पराजय होगी। उन्होंने कहा कि केंद्र में भाजपा नीत एनडीए की सरकार लंबे समय तक नहीं टिकेगी, यह जल्द ही गिर जाएगी। ऐसी सांप्रदायिक ताकतें किसी भी कीमत पर सत्ता में रहना चाहती हैं।
बंगाल के बिना भारत का अस्तित्व नहीं
वहीं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस मौके पर रैली को संबोधित करते हुए कहा कि केंद्र की भाजपा नीत सरकार लंबे समय तक नहीं चलेगी। उन्होंने कहा कि भाजपा ने लोगों को डरा-धमका कर, एजेंसियों का दुरुपयोग करके केंद्र में सरकार बनाई है। केवल बंगाल ही भारत के अस्तित्व को बचा सकता है, बंगाल के बिना भारत का अस्तित्व नहीं है। वहीं भीड़ के द्वारा किए जा रहे हमलों पर बोलते हुए ममता बनर्जी ने कहा कि अन्याय न करें और न ही इसे बर्दाश्त करें, दोषी पाए जाने पर हम तृणमूल कांग्रेस के सदस्यों को भी नहीं छोड़ेंगे। बांग्लादेश में चल रहे प्रदर्शन को लेकर उन्होंने कहा कि अगर बांग्लादेशी हमारे दरवाजे पर आएंगे तो हम उन्हें शरण देंगे।
क्यों किया गया शहीद दिवस रैली का आयोजन
बता दें कि यह रैली हर साल 21 जुलाई को कोलकाता के ‘एस्प्लेनेड’ में उन 13 कांग्रेस कार्यकर्ताओं की याद में आयोजित की जाती है, जो 1993 में राज्य में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के नेतृत्व वाली वाम मोर्चा सरकार के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन के दौरान कथित तौर पर पुलिस गोलीबारी में मारे गए थे। राज्य में कांग्रेस की युवा इकाई की तत्कालीन प्रमुख ममता इस विरोध-प्रदर्शन का नेतृत्व कर रही थीं। वहीं रैली में शामिल होने के लिए तृणमूल समर्थक दूरदराज के जिलों से दो दिन पहले से ही कोलकाता पहुंचने लगे थे। ये लोग शहर में विभिन्न स्थानों पर बनाए गए शिविरों में रह रहे थे। (इनपुट- भाषा)
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