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Lok Sabha Election 2024: गोरखा नेता बिनॉय तमांग के खिलाफ कांग्रेस ने लिया एक्शन, पार्टी से 6 साल के लिए निष्कासित; जानें वजह

कांग्रेस महासचिव बिनॉय तमांग को पार्टी ने 6 साल के लिए निष्कासित कर दिया है। दरअसल तमांग ने भाजपा के प्रत्याशी को समर्थन देने की अपील की थी, जिसके बाद उनके खिलाफ एक्शन लिया गया है।

Edited By: Amar Deep
Published on: April 23, 2024 20:03 IST
बिनॉय तमांग को कांग्रेस ने 6 साल के लिए किया निष्कासित।- India TV Hindi
Image Source : ANI बिनॉय तमांग को कांग्रेस ने 6 साल के लिए किया निष्कासित।

कोलकाता: देश भर में चल रहे चुनावी माहौल के बीच कांग्रेस ने मंगलवार को अपनी पश्चिम बंगाल इकाई के महासचिव बिनॉय तमांग को "पार्टी विरोधी गतिविधियों" के लिए 6 साल के लिए निष्कासित कर दिया। बता दें कि कांग्रेस का यह फैसला गोरखा नेता द्वारा भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के दार्जिलिंग लोकसभा सीट के उम्मीदवार राजू बिस्ता को समर्थन देने के कुछ घंटों बाद आया। कांग्रेस नेता और पूर्व विधायक मनोज चक्रवर्ती ने एक आधिकारिक अधिसूचना में कहा कि "बिनॉय तमांग को पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए 6 साल के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया गया है। उनका निष्कासन तुरंत प्रभावी होगा।"

तमांग ने बताया गोरखाओं की जीत

वहीं इस पूरे मामले को लेकर बिनॉय तमांग ने कहा कि कांग्रेस से उनका निष्कासन "गोरखाओं की जीत" है और उन्हें इससे ज्यादा परेशानी नहीं है। उन्होंने कहा कि "इससे कोई फर्क नहीं पड़ता... कांग्रेस से मेरा निष्कासन गोरखाओं की जीत और सबसे पुरानी पार्टी की हार है।" इससे पहले दिन में तमांग ने भविष्यवाणी की थी कि भाजपा केंद्र में सत्ता में रहेगी और पहाड़ी लोगों से बिस्टा को वोट देने का आग्रह किया। बता दें कि 18 दिसंबर को कांग्रेस ने बिनॉय तमांग को अपना महासचिव नियुक्त किया था और उन्हें दार्जिलिंग हिल्स में पार्टी के संगठन की जिम्मेदारी दी थी। वहीं तमांग पहले तृणमूल कांग्रेस में थे जो नवंबर 2023 में कांग्रेस में शामिल हुए थे।

कौन हैं बिनॉय तमांग

दरअसल, गोरखा जनमुक्ति मोर्चा के पूर्व नेता बिनॉय तमांग की राजनीतिक यात्रा काफी गतिशील रही है। वह शुरुआत में 2021 में अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस में शामिल हुए, लेकिन 2022 में अलग हो गए। इसके बाद 2023 में उन्होंने खुद को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से संबद्ध कर लिया और पार्टी के भीतर राज्य महासचिव के पद तक पहुंचे। दार्जिलिंग के रहने वाले तमांग प्रसिद्ध गोरखाओं की कहानियों से गहराई से प्रेरित थे और उनकी उन्नति में योगदान देने की आकांक्षा रखते थे। 1986 में गोरखा नेशनल लिबरेशन फ्रंट (जीएनएलएफ) के साथ उनकी भागीदारी एक महत्वपूर्ण क्षण थी, जिसने उन्हें गोरखा जनमुक्ति मोर्चा के भीतर नेतृत्व की भूमिका के लिए प्रेरित किया।

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