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पश्चिम बंगाल में करीब सात महीने बाद लोकल ट्रेनों का परिचालन शुरू

पश्चिम बंगाल में सात महीने से ज्यादा समय के बाद बुधवार से उपनगरीय ट्रेन सेवाओं का परिचालन शुरू हो गया। कोविड-19 के मद्देनजर प्रशासन कड़ी निगरानी रख रहा है और यात्री भी नियमों का पालन करते हुए देखे गए।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: November 11, 2020 21:56 IST
Local train services resume in Bengal after 7 months- India TV Hindi
Image Source : PTI बंगाल में सात महीने से ज्यादा समय के बाद उपनगरीय ट्रेन सेवाओं का परिचालन शुरू हो गया।

कोलकाता: पश्चिम बंगाल में सात महीने से ज्यादा समय के बाद बुधवार से उपनगरीय ट्रेन सेवाओं का परिचालन शुरू हो गया। कोविड-19 के मद्देनजर प्रशासन कड़ी निगरानी रख रहा है और यात्री भी नियमों का पालन करते हुए देखे गए, लेकिन शाम के व्यस्त समय में ट्रेन की कोचों में भीड़ लग गई। पूर्व और दक्षिण पूर्व रेलवे के तहत चलने वाली लोकल ट्रेन सेवाओं का आज तड़के से ही परिचालन शुरू हो गया। कोविड-19 महामारी के मद्देनजर ये सेवाएं रोक दी गईं थीं।

सुबह सेवाओं के शुरू होने के बाद ट्रेनों में भीड़ नहीं थी, लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता गया, ट्रेनों में भीड़ बढ़ती गई। सियालदह और हावड़ा टर्मिनल स्टेशनों पर भारी भीड़ लग गई, जिससे शारीरिक दूरी के मानदंडों के पालन को लेकर आशंका पैदा हो गई। भले ही इन ईएमयू ट्रेनों में अभी कोरोना काल से पहले की तरह भीड़ नहीं देखी गई लेकिन धीरे-धीरे यात्रियों की संख्या और बढ़ने की संभावना है क्योंकि लोग कम खर्चीले यात्रा साधनों का उपयोग करना ज्यादा बेहतर समझते हैं।

रेलवे प्रशासन ने यात्रियों से अपील की है कि वे कोविड-19 नियमों का पालन करें। स्टेशन परिसरों और ट्रेनों के भीतर मास्क पहनना अनिवार्य है। एक अधिकारी ने बताया कि पूर्वी रेलवे सियालदह खंड में 413 उपनगरीय ट्रेनें जबकि हावड़ा खंड में 202 ट्रेनें बुधवार से चलनी शुरू हो गई हैं । वहीं दक्षिण-पूर्व रेलवे 81 नियमित ट्रेनों का परिचालन कर रहा है। यात्रियों ने लोकल ट्रेनों की सेवा शुरू होने पर खुशी जाहिर की है। उनका कहना है कि इससे न केवल यात्रा समय बचेगा बल्कि वह पैसे भी बचा सकेंगे।

नदिया जिले के कल्याणी के रहने वाले संजय दत्त ने बताया, ‘‘मुझे सॉल्ट लेक क्षेत्र के सेक्टर पांच में अपने कार्यालय तक पहुंचने के लिए दो बसें बदलनी पड़ती थीं। ट्रेन यात्रा के मुकाबले में बस यात्रा में दोगुना समय लग जाता था, पैसे भी ज्यादा खर्च करने पड़ते थे और भीड़-भाड़ वाली बस में स्वास्थ्य संबंधी खतरा था।’’ हालांकि यात्रियों ने कहा है कि ट्रेनों की संख्या में बढ़ोतरी की जाए ताकि ट्रेन कोचों में भीड़-भाड़ से बचा जा सके।

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