कुर्मी जाति को आदिवासी (एसटी) का दर्जा देने की मांग को लेकर हजारों लोग बुधवार सुबह से ही हावड़ा-मुंबई रूट में कई स्टेशनों पर प्रदर्शन कर रहे हैं। इस वजह से इस रूट पर ट्रेन सेवाएं बुरी तरह अस्त-व्यस्त हो गई हैं। रेलवे को बंगाल के खड़गपुर और आद्रा रेल मंडल की लगभग 6 दर्जन ट्रेनें रद्द करनी पड़ी हैं, जबकि आधा दर्जन ट्रेनों को रूट बदलकर चलाया जा रहा है। सबसे अधिक असर हावड़ा- मुंबई रेल मार्ग और कोलकाता-बहरागोड़ा सड़क मार्ग पर आंदोलन का असर पड़ रहा है। रांची रेल मंडल ने भी 5 अप्रैल को 8 ट्रेनों की सेवाएं रद्द करने का फैसला किया है।
मंगलवार की रात 12 बजे से ही जुट गए थे प्रदर्शनकारी
झारखंड-बंगाल-ओडिशा के कुर्मी समाज के लोग कई समूहों में खड़गपुर मंडल के खेमाशुलि स्टेशन और आद्रा मण्डल के कुसतौर स्टेशन पर रेलवे लाइन पर गाजे-बाजे और लाठी-डंडों के साथ जमा हैं। मंगलवार की रात 12 बजे से ही अपनी मांगों को लेकर संगठन से जुड़े लोग रेलवे स्टेशनों के आस-पास जमा हुए। इसे देखते रेलवे ने एहतियाती तौर पर ट्रेनें रद्द की हैं। परिस्थितियों को देखते और भी गाडियों को रद्द किया जा सकता है।
रांची रेल मंडल में रद्द हुई ये ट्रेनें
रांची रेल मंडल में रद्द की गई ट्रेनों में ट्रेन संख्या 08641आद्रा-बरकाकाना मेमू पैसेंजर यात्रा, ट्रेन संख्या 03595 बोकारो स्टील सिटी-आसनसोल मेमू पैसेंजर, ट्रेन संख्या 18085 खड़गपुर-रांची एक्सप्रेस, ट्रेन संख्या 18036 हटिया-खड़गपुर एक्सप्रेस, ट्रेन संख्या 18035 खड़गपुर-हटिया एक्सप्रेस, ट्रेन संख्या 22892 रांची-हावड़ा एक्सप्रेस, ट्रेन संख्या 22891 हावड़ा-रांची एक्सप्रेस और ट्रेन संख्या 03598 आसनसोल-रांची मेमू पैसेंजर शामिल हैं। दर्जनों ट्रेनों जहां तहां रुकी हुई हैं, जिसके कारण यात्रियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
अनिश्चित कालीन हड़ताल की चेतावनी
खेमाशुलि स्टेशन (बंगाल) में आंदोलन का नेतृत्व कर रहे राजेश महतो के मुताबिक बंगाल सरकार उनकी नहीं सुन रही है। उनके जस्टिफिकेशन बिल को केंद्र सरकार के पास नहीं भेजा जा रहा है। 2017 में बिल भेजने की बात कही गई थी, पर बार-बार धोखा हो रहा है। ऐसे में अब वे अनिश्चित कालीन हड़ताल पर बैठेंगे। रेलवे और सड़क मार्ग जाम करेंगे ताकि बंगाल सरकार केंद्र को बिल भेजे।
कुर्मी समुदाय के लोग क्यों कर रहे आंदोलन
समाज के पूर्वी सिंहभूम जिला प्रभारी प्रभात कुमार महतो ने कहा है कि कुड़मी समाज के लोगों को आदिवासी की मान्यता से दूर रखकर उनके वाजिब हक से वंचित रखा गया है। इस मांग को लेकर सरकारों के पास सैकड़ों बार गुहार लगाई गई है, लेकिन अब तक इस दिशा में कोई कार्रवाई न होने की वजह से यह निर्णायक आंदोलन शुरू किया गया है। उनकी शिकायत यह है कि स्वदेशी जनजातियों के लिए काम करने वाली राज्य सरकार की संस्था पश्चिम बंगाल कल्चरल रिसर्च इंस्टीट्यूट ने अभी तक कुर्मियों को आदिम जनजातियों के प्रतिनिधि के रूप में मान्यता नहीं दी है।
(इनपुट- IANS)
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